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रोहतास : 678 साल पुराना है भीम करूप का इमबड़ा, 24 गांव से आता था ताजिया, अभी चार गांवों के ताजिया का होता है पहलाम

रोहतास जिले के अंकोढी गोला प्रखण्ड के ग्राम भीम करूप में 1344 वर्ष में इमबड़ा को बनाया गया था. उस वर्ष से इलाके के 24 गांव की तजिया को इमबड़ा पर पहलाम किया जाता है. भीम करूप के तजिया को पूर्व से मामा और बाकी गांव के तजिया को भांजा कहा जाता है. बिना मामा तजिया से मिलाप किए इमबड़ा पर पहलाम नहीं किया जा सकता. समय के अनुसार लोग अपने गांव मे ताजिया रखने लगे पर आज भी चार गांव भीम करूप, बिसेनी कला, तेतराढ, कुसधर का तजिया का पहलाम होता है. मुहर्रम को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था किया जाता है. भव्य मेला का आयोजन होता है. हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग मिठाईयां लेकर फतेया कराते हैं, उसके बाद मिठाई खाते है. लोकल मेला होने के कारण खचाखच भीड़ उमड़ती है. लोग जमकर के मिठाइयों की खरीदारी करते हैं. भव्य जुलूस निकाली जाती है.

ताजिया इमाम हसन और हुसैन की याद में रखी जाती है. ताजिया का कार्यक्रम दस दिनों तक चलता है. पंचमी को मट्टी से ताजिया निर्माण शुरू किया जाता है, जबकि सतमी को केला के पत्ता और मेहंदी के पत्ता को गांव के चौक पर घुमाया जाता है. उसके बाद अष्टमी को तजिया निकाला जाता है. मुस्लिम भाईयों द्वारा बना बनेठी, लाठी डंटे को भांजा जाता है. खेल के दौरान खूब नाल बजाया जाता है.इसी तरह कई कार्यक्रम किया जाता है, उसके बाद दसमी को पहलाम किया जाता है.

क्या कहते है गांव के मौलबी

कैमुदिन अंसारी मौलबी बताते है कि 1344 वर्ष में गांव के इमबड़ा का निर्माण हुआ था. उस वर्ष से इलाके के 24 गांव से ताजिया आता था. सभी का इमबड़ा पर पहलाम होता था. अब सिर्फ चार गांवों का ताजिया आता है. सबसे बड़ी बात है कि भीम करूप के ताजिया को पूर्व से मामा जबकि बाकी गांव के ताजिया भांजा का मान्यता है. जब तक भीम करूप के तजिया यानी मामा से तजिया का मिलाप नहीं होता, तबतक इमबड़ा पर पहलाम नहीं हो सकता. (संतोष कुमार की रिपोर्ट).

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