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पटना : बकरीद को लेकर ‘बीआईएफसी’ के धर्मगुरुओं ने लोगों से की शारीरिक दूरी और हाथों की सफाई का पूरा ख्याल रखने की अपील

बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देख बकरीद यानी ईद-अल-अज़हा को लेकर बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन (बीआईएफसी) ने इस त्यौहार को सुरक्षित रूप से मनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किया है. बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन अलग-अलग धर्मगुरुओं को एक साथ लाकर इस दिशा में पहले से कार्य भी करती रही है.

सुरक्षित रहकर मनाएं त्यौहार :

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने एक तरफ सरकार के सामने चुनौती पेश की है तो दूसरी तरफ़ लोगों के सामान्य जीवन शैली को भी बहुत प्रभावित किया है. ऐसी स्थिति में बकरीद या ईद-अल-अज़हा को सुरक्षित रूप से मनाने की जरूरत अधिक हो गयी है. इसको लेकर हज़रत सैयद शाह शमीमुद्दीन अहमद मुनेमी (खानका मुनेमिया) हाजी एस एम् सनाउल्लाह (इदारे शरिया) मौलाना अनिसुर रहमान (आल इंडिया मिल्ली काउन्सिल ) मो रिजवान अहमद (जमाते इस्लामी हिंद ) और अन्य बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन के सदस्यों ने बक़रीद की मुबारकबाद देते हुए जनता से सुरक्षित तारीके से , शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए त्यौहार मनाने की अपील की है. साथ ही कोरोना संक्रमण प्रसार के मद्देनजर सबों ने इस बात पर जोर दिया है कि आम समुदाय साबुन से बार-बार हाथ धोकर और मास्क पहन ही कोई भी कार्य करें तथा ये बातें अपने बच्चों को भी सिखाएं.

संक्रमण का प्रसार मनुष्यों के साथ पशुओं में भी होने की संभावना :

बीआईऍफ़सी के धर्मगुरुओं ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि कोविड-19 का प्रसार मुख्य रूप से मनुष्य से मनुष्यों में होता है. लेकिन इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि इसका प्रसार मनुष्यों से पशुओं में भी हो सकता है, ख़ासतौर से कोविड से संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से. इस बीमारी से होने वाले घातक स्वास्थ्य परिणाम, असमय मृत्यु, अनावश्यक खर्च ओर परेशानी से बचने के लिए उन्होंने सलाह दी है. साथ ही ईद-अल- अज़हा पर जानवरों की परंपरागत कुर्बानी देते समय कुछ बातों का अधिक ध्यान रखने की अपील भी की है. उन्होंने बताया है कि पूर्व की हिदायतों को अमल में लाते हुए घर पर कुर्बानी देने से परहेज़ करें.

कुर्बानी के दौरान एहतियात बरतें :

भीड़भाड़ से संक्रमण की तेजी से फैलने का ख़तरा रहता है. इसलिए भीड़ कम से कम लगायें. जैसा की कुर्बानी के मामले में हमेशा हिदायत की जाती है, हाथ और औजारों की साफ़-सफाई सुनिश्चित करें और साबुन से अच्छे से हाथ धोएं एवं उन्हें स्ट्रेलाईज भी करें. बीमार लग रहे जानवरों की कुर्बानी भी ठीक नहीं है. अगर पशु बीमार लग रहे हों, तो उनकी कुर्बानी ना दें. इसके अलावा पशुओं की खरीद के मसले पर भी उन्होंने ध्यान दिलाया की जानवरों को विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदें.

मांस के बंटवारे के वक्त भी सावधानी बरतना जरुरी :

आस-पास की मस्जिद या दुसरे किसी संगठन की सहायता लें ताकि आस-पड़ोस में अनावश्यक भीड़ भाड़ ना हो. हाथों की सफाई, मास्क पहन, शारीरिक दूरी बनाये रखने का पूरे क्रम (कुर्बानी के दौरान, उचित हिस्से करने, फ्रिज इत्यादि में सुरक्षित रखने ओर बांटने) में पूरा पूरा ध्यान रखें. मीट को साफ़ कर, ऊंचे तापमान पर देर तक पकाने के बाद ही, साबुन से हाथ धोकर खाएं.

थोड़ी से सावधानी सुरक्षा में होगा कारगर :

उलेमाओं ने बिहार इंटरफेथफोरम (बीआईएफ़सी) के मंच के जरिये कहा कि थोड़ी सी सावधानियों के जरिये हम खुद भी सुरक्षित रहेंगे ओर दूसरों को बीमारी से बचाते हुए त्यौहार मनाएंगे. बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और वंचित परिवारों की विशेष देखभाल करे. सभी की ख़ुशहाली के लिए घर पर ही नमाज़ पढ़े एवं दुआ करे और आपसी सौहार्द बनाए रखें.

बीआईएफ़सी को मिल रहा यूनिसेफ़ का तकनीकी सहयोग :

गौरतलब है कि बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन (बीआईएफ़सी) धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं और संगठनों का एक स्वैच्छिक मंच है, जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों और उनके हित के लिए निरंतर कार्य कर रही है. यूनिसेफ विकाराथ ट्रस्ट से समन्वय स्थापित कर बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है. (सेंट्रल डेस्क).

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