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नालंदा : राजगीर से पैदल पहुँचा मजदूरों का जत्था, भूख प्यास से व्याकुलों को नहीं मिली प्रशासनिक मदद

नालंदा में रविवार की देर रात करीब 10 बजे मजदूरों का जत्था पैदल राजगीर से चल कर बिहारशरीफ पहुँच गया. भूख प्यास के कारण जब सबकी हिम्मत जबाब दे दी तो वे सड़क किनारे ही आराम करने के लिए बैठ गए. सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जिला प्रशासन द्वारा कई तरह के दावे किए जा रहे हैं, मगर उनका यह दावा इन मजदूरों को देखकर खोखला साबित गया.

बता दें कि बिहार के सीवान, मोतिहारी, बेतिया व यूपी समेत क्षेत्रों के करीब 19 मजदूर राजगीर में रहकर प्लंबिंग और फर्नीचर का काम किया करते हैं, मगर लॉकडाउन हो जाने के कारण ठेकेदारों ने मुह मोड़ लिया. जिसके बाद इन लोगों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई. रविवार को सभी मजदूरों ने भूखे मरने के बजाए अपने गांव पर जाकर मेहनत मजदूरी करने के लिए राजगीर से निकल पड़े और रेलवे पटरी सहारे पैदल चलते हुए बिहारशरीफ पहुँचे. मगर भूख प्यास के कारण आगे बढ़ने की उनकी हिम्मत नहीं हुई और वेलोग रामचंद्रपुर के समीप सड़क किनारे ही बैठ गए.

वहीं स्नातक अधिकार मंच के संयोजक दिलीप कुमार की इन मजदूरों पर नजर पड़ी तो उन्होंने सबसे पहले मजदूरों को मास्क दिया और वरीय पदाधिकारी को रात गुजारने के लिए कहीं शरण देने की बात की. मगर अधिकारी टालमटोल करते दिखे. इस दौरान उन्होंने भूख प्यास से व्याकुल मजदूरों को किसी तरह बिस्कुट और पानी की व्यवस्था कराई. जिसके बाद मजदूरों को जान में जान आई. हालांकि जिलाधिकारी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सभी मजदूरों को पास के क्वॉरेंटाइन सेंटर में ले जाने का निर्देश दिया. इसके बाद आनन-फानन में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक आकर सभी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में ले गए. (प्रणय राज की रिपोर्ट).

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