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नालंदा : दस साल बाद भी बुनकरों को नसीब नहीं हो रहा है तीस लाख की लागत से बना बुनकर भवन, दीवारों में पड़ने लगी दरार

नालंदा में सिलाव प्रखण्ड के नेपुरा गांव में 30 लाख की लागत से बना बुनकर भवन 10 साल बीत जाने के बाद आज तक बुनकरों को मुहैया नही हो सका है. वहीं देख-रेख के अभाव में अब भवन जर्जर होने लगा है और उसकी दीवारों में दरार पड़ने लगे हैं.

बता दें कि 10 साल पूर्व इस भवन का निर्माण इसलिए कराया गया था कि यहां बुनकर एक साथ बैठकर सरकार द्वारा दिये गए मशीन पर कपड़ा का निर्माण कर सके. लेकिन 10 साल से अधिक बीतने को है फिर भी बुनकरों के लिए यह भवन सौंपा नहीं गया. जिसके कारण बुनकर अभी भी अपने छोटे-छोटे कमरों में जैसे तैसे कपड़ा का निर्माण कर रहे हैं. बुनकरों का कहना है कि जब इसे हमलोगों के लिए बनाया गया था तो अब तक सौंपा क्यों नहीं गया. सरकार सिर्फ दिखावे के लिए बुनकरों के उत्थान की बात कहती है. अगर उत्थान किया जाता तो आज खादी की यह हालत नहीं होती, बुनकरों के साथ सरकार अन्याय कर रही हैं. सिर्फ दिखावे को लेकर घोषणाएं की जाती है, लेकिन उसे मूर्त रूप नहीं दिया जाता है.

वहीं 10 साल बाद यह भवन धीरे-धीरे जर्जर होना शुरू हो गया है. कहीं फर्श टूट गया है तो कहीं दीवारों में दरार आनी शुरू हो गई है. वहीं उद्योग विभाग के अधिकारी की माने तो इस भवन का निर्माण बुनकरों को प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया था, यहां पर पूर्व से ही दो कर्मी की नियुक्त है. जल्द ही इसे बुनकर संघ के हवाले कर दिया जाएगा. (प्रणय राज की रिपोर्ट).

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