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गोपालगंज : दिघवा दुबौली बाजार में प्रवेश हुआ कठिन, 30 वर्षों से सड़क की हालत बनी है नारकीय लेकिन सुधि लेने वाला कोई नहीं

गोपालगंज जिला का बैकुंठपुर प्रखंड का मुख्यालय दिघवा दुबौली बाजार एक ऐसा एकलौता भाग्य का मारा बाजार है जिसके सामने नरक भी शरमा जाने के लिए विवश है. बाढ़ के पानी की बात तो अलग है. वर्षा के पानी से रेलवे स्टेशन के दोनों तरफ की मुख्य सड़कें जो मुख्य रूप से बाजार एवं प्रखंड मुख्यालय से जुड़ी है, डूब चुकी हैं.

बता दें कि ब्लॉक रोड स्थित डॉ सुबोध कुमार के आवास से लेकर जागृति प्रेस, बैकुंठपुर थाना से होते हुए रेलवे पश्चिमी ढ़ाला तक एवं बीच बाजार अलका रेस्टुरेंट के सामने की सड़क वर्षा जल से पूर्णतः डूब चुकी है. रेलवे गढ़े की सालो भर की गंदगी सड़कों पर फैलकर बदबू दे रही है. उस पानी में पैर रखने से मन में घृणा हो जाती है. दिघवा दुबौली में कई महत्वपूर्ण सरकारी एवं प्राइवेट प्रतिष्ठान है यथा थाना, रेलवे स्टेशन, हॉस्पीटल, प्रखंड कार्यालय, विभिन्न बैंक, डाकघर, आंगनबाड़ी कार्यालय, प्रेस, कई शिक्षण संस्थाएं, विभिन्न डॉक्टर, कोचिंग संस्थान, जीविका, जांच घर एवं विभिन्न प्रकार की दूकानें. इनसे संबंधित लोगों को इस बाजार में आना अनिवार्य है और विवश होकर लोगों को साइकिल, मोटर साइकिल, कारें व पैदल आदि किसी भी तरह से इन नारकीय सड़कों से गुजरना पड़ता है. बहुत से लोग इन्हीं सड़कों पर सामान, बीबी-बच्चे के साथ गिर भी जाते हैं. थाना, अस्पताल, ब्लॉक, बैंक आदि के पदाधिकारियों की गाड़ियां भी इसी बदबूदार गंदी सड़कों से होकर गुजरती हैं लेकिन क्या पता ये पदाधिकारी लोग इस गंदे सड़कों पर बहते पानी से निजात पाने के लिए कभी सोचते भी है कि नहीं.

यहां के लोगों का क्या कहना, ये सभी लोग कई वर्षो से इस तमाशा को देखने की आदी हो गये हैं. दिघवा दुबौली की सड़क की समस्या आज से नहीं हैं बल्कि 30 वर्ष पहले से है. रेलवे स्टेशन की उतरी सड़क जो जागृति प्रेस से होकर गुजरती है लगभग तीस वर्ष पहले से ही जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. इस लम्बे अवधि काल में राजद, भाजपा व जदयू के कई एमपी, एमएलए हुए लेकिन किसी का ध्यान इधर नहीं गया. एक डेढ़ लाख का मिट्टीकरण कर देना किसी भी मुखिया, एमएलए, एमपी या बीडीओ आदि के लिए बड़ी बात नहीं हैं. लेकिन ईच्छाशक्ति के अभाव में ये सड़कें अपने दुर्भाग्य पर रो रही है. यह समस्या इसलिए पैदा हुई है कि ब्लॉक रोड एवं डाक बंगला रोड की सड़कों पर बनी पुलिया दोनों तरफ दूकानों के बन जाने से बंद है. अगर वे सभी पुलिया खुल जाए तो क्षणभर में ये समस्या दूर हो सकती है. लेकिन, सड़क एवं पुलिया सरकारी है और दोनों तरफ की दूकानें निजी जमीन में बनी हैं. इसलिए पुलिया को खुलवाना भी कानूनी अड़चनें में शामिल है. फिर भी पदाधिकारियों एवं स्थानीय गणमाण्य लोगों के प्रयास से इस समस्या का निदान निकल सकता है. (हितेश कुमार की रिपोर्ट).

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