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दुमका : राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों द्वारा बेलबोरेन पूजा की शुभकामनाएं नहीं दिए जाने से नाराज हुए संथाल आदिवासी, चुनावों में राजनीतिक पार्टियों के बहिष्कार का लिया निर्णय

दुमका में सोमवार को दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर अखाड़ा के बैनर तले ग्रामीणों ने दुमका प्रखंड के लेटो गांव में कुल्ही दुरुप कर बैठक किया. बैठक में जनप्रतिनिधियों द्वारा बेलबोरेन पूजा की शुभकामनाएं नहीं देने पर आपत्ति जताते हुए यह आगामी लोस चुनाव और विस चुनाव में राजनीतिक दलों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया.

बैठक में कहा गया कि आये दिन राजनितिक पार्टियों द्वारा बाजार में बड़े-बड़े होडिंग के माध्यम से हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाइ के पर्वो व पूजा में शुभ कामनाये देते है. लेकिन संथाल आदिवासियों के पर्व व पूजा में शुभ कामनाये नही देते है. अभी संथाल आदिवासियों ने बेलबोरोन पूजा मनाया. जिसमे इष्ट देवता ठाकुर और ठकरन को प्रसन्न करने के लिय दशाय नृत्य किया जाता है.

राजनितिक पार्टियों ने क्रिसमस, दुर्गा पूजा, दिपावली, छठ,चित्रगुप्त पूजा का शुभ कामनाये दी. लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने संथालो का बेलबोरोन पूजा का शुभ कामनाये संथाल आदिवासियों को नही दिया. जबकि दुमका विधान सभा और दुमका संसद क्षेत्र आरक्षित (ST) सीट है. जहाँ एक ओर सभी राजनितिक पार्टिया अपने को ही आदिवासी हितैषी बताते है. वही दूसरी ओर सभी राजनितिक पार्टिया आदिवासियों के पूजा व पर्व में शुभ कामनाये नही देती है. ऐसे दोहरी नीति अब नही चलेगी.

अखाड़ा और ग्रामीणों का कहना है कि जब क्षेत्रिय और राष्ट्रीय राजनितिक पार्टिया आदिवासियों के पर्व व पूजा में शुभकामनाये नही दे सकते है तो वे राजनीतिक पार्टिया आदिवासियों के हक़ और अधिकार की लड़ाई कैसे लड़ेगी ? इन पार्टियों को वोट देकर क्या फायदा होगा ? इससे तो अच्छा है किसी निर्दलीय को वोट देकर विजय बनाया जाय.अखड़ा और ग्रामीणों ने यह दुःख और आक्रोश भी व्यक्त किया कि देश के आजादी के 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी आदिवासियों के पर्वो व पूजा में राजनितिक पार्टियों दुवारा शुभ कामनाये नही मिलना यह बताता है कि अभी भी आम आदिवासी हाशिये में है. इन्हें जो मान और सम्मान राजनितिक पार्टियों द्वारा मिलना चाहिए नही मिल रहा है. अखाड़ा और ग्रामीणों से सरकार से भी यह मांग किया कि पेपर व टीवी के मध्यम से भी सरकार आदिवासी पर्व व पूजा में बधाई दे. अखाड़ा और ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि अगर सभी क्षेत्रिय और राष्ट्रीय राजनितिक पार्टिया आदिवासियों के प्रति अपना आचरण नही बदलते है तो आगामी लोक सभा और विधान सभा चुनाव में निर्दलीय को वोट देकर विजय बनाया जायेगा.

इस मौके में सुनील टुडू, मंगल मरांडी, झोमोन मरांडी, काहा मरांडी, दीवान टुडू, मंगल मुर्मू, बाबुराम मुर्मू, सोले मुर्मू, साहेब टुडू, सुलेमान मुर्मू, सोम किस्कू, गोपीन किस्कू, बाबुधन मरांडी, सोहराय टुडू, संतोष मरांडी, राजेश मुमु, रासमती किस्कू, मिनी मरांडी, एलेजाबेद हेम्ब्रोम, मोनिका हांसदा, अनिता टुडू,वमर्शीला हेम्ब्रोम के साथ काफी संख्या में ग्रामीण महिला और पुरुष उपस्थति थे.

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