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पाकुड़ : शारदीय नवरात्र में राजपाड़ा का सिंहवाहिनी मंदिर बना लोगों के आस्था का केंद्र

मक़सूद आलम

https://youtu.be/KYyfOEps3G8

पाकुड़ में शारदीय नवरात्र के अवसर पर जिला मुख्यालय स्थित राजपाड़ा का ऐतिहासिक सिंहवाहिनी मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है. पाकुड़ ही नहीं पश्चिम बंगाल से लोग मां सिंहवाहनी के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

बता दें कि पाकुड़ के राजा पृथ्वी चन्द्र शाही ने 200 वर्ष पूर्व मां सिंहवाहिनी मंदिर में माता को स्थापित किया था. उसके बाद से दुर्गापूजा में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. पहले सिंहवाहिनी मंदिर में तांत्रिक मत से पूजा अर्चना की जाती थी. बाद में रानी ज्योतिर्मय देवी ने 1941 से यहां वैदिक मत से पूजा अर्चना की जा रही है. मां के मंदिर प्रागण में 15 शिवलिंग है और एक महाकाल भैरव है जो बनारस के काशी और उज्जैन में स्थापित है. मां दुर्गा के सामने महाकाल भैरव की स्थापित करने के पीछे राजा की मंशा थी कि जब मां उग्र हो जाती है कुछ अनहोनी न हो उसे रोकने के लिए महाकाल भैरव को स्थापित किया था ताकि अपने इलाके में परजाओ की किसी तरह की परेशानी ना हो. अलग-अलग रंगों की 15 शिवलिंग की स्थापना करायी गई थी जो पूरे झारखंड में अनोखा है. वहीं मंदिर परिसर में मां सिंहवाहिनी के सामने महाकाल भैरव और चारों ओर शिवलिंग हैं जो महाकाल के रूप में माने जाते है.

मां सिंहवाहिनी मंदिर प्रांगण में नवमी के दिन विशेष कर कुमराह बलि का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़े संख्या में लोग बलि देखने पहुंचते है और पूजा अर्चना करते हैं. श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मां के दरबार में आकर कुछ भी मन्नत मांगते है उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. पूरे सालो भर मां दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है दुर्गा पूजा में विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

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