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45 लाख रुपये की सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के धंधे में उतरे रवि कुमार ने बनाई अपनी अलग पहचान

अनूप नारायण सिंह

सपने देखना गलत नहीं होता लेकिन उन सपनों को साकार करने की कुबत कम लोगों में होती है. सफल युवा बिहारियों की फेहरिस्त में एक नया नाम जुड़ा है रवि कुमार का. बिहार की राजधानी पटना के महंत हनुमान शरण स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले रवि आज की तारीख में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. 45 लाख रुपए की सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर एक्सपोर्ट-इंपोर्ट के व्यवसाय में उतरे रवि कुमार देश की सरहदों को पार कर साउथ अफ्रीका में एक सफल एक्सपोर्टर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके है. रवि कुमार संप्रति सीईओ हैं ईमोट ग्रुप के.

इनका ईमोट ग्रुप 4 -5 बड़ी कंपनियों को संचालित करता है. इनका कार्य क्षेत्र भारत के साथ ही साथ साउथ अफ्रीका है. ये भारत से अफ्रीका को नमक व डिटर्जेंट एक्सपोर्ट करते हैं. रवि बताते हैं कि स्थानीय लघु उद्योगों को प्रमोट करने के लिए इनकी कंपनी लिंकअप का काम करती है विगत ढाई वर्षों से ये बिहार की राजधानी पटना में भी अपनी कंपनी का कार्यालय बोरिंग केनाल रोड अवस्थित चतुर्भुज कांप्लेक्स में खोलकर बिहार के युवाओं के लिए उत्प्रेरक का कार्य कर रहे हैं. वे कहते हैं कि एक्सपोर्ट इंपोर्ट के साथ इनकी कंपनी प्रोडक्शन का कार्य भी कर रही है. रवि बताते हैं कि इनकी कंपनी चाहती है कि बिहार के लघु एवं मध्यम उद्योगों में फूड प्रोडक्ट तैयार हो डिटर्जेंट वाशिंग सोडा अचार पापड़ जैसे खाद्य पदार्थ उनकी कंपनी इन उत्पादों को विदेशी बाजार मुहैया कराएंगी. बिना किसी सरकारी या गैरसरकारी सहयोग इनकी कंपनी कार्य कर रही हैं. बिहार में कोई भी बड़ा एक्सपोटर नहीं है बिहार के व्यवसायी कोलकाता मुंबई और गुजरात से नमक व अन्य फूड प्रोडक्ट खरीदते हैं जिससे लागत काफी ज्यादा हो जाता है. उन्होंने बिहार के थोक विक्रेताओं का आह्वान किया कि वह उनकी कंपनी से जुड़े पटना में ही सस्ते दर पर उच्च क्वालिटी के प्रोडक्ट जिस में खाने की वस्तुओं से लेकर वाशिंग पाउडर साबुन चॉकलेट उपलब्ध है उचित मूल्य पर थोक में उपलब्ध करवाया जाएगा. जिसकी लागत कम होगी और सीधे बिहार के लोगों की खाने की लागत भी कम होगी. बातचीत के क्रम में रवि कुमार ने बताया कि उनका मकसद पटना में एक्सपोर्ट इंपोर्ट का कार्यालय खोलने के पीछे मात्र यह है कि बिचौलिया सिस्टम खत्म हो साथ ही साथ बिहार में ग्रोथ रेट बढ़े. स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना भी का मकसद है वह कहते हैं कि राइस चॉकलेट लॉलीपॉप उनकी कंपनी को प्रतिमाह 1000 टन चाहिए जो नहीं मिल पाता इसके लिए उन्हें कोलकाता गुजरात और मुंबई के उत्पादकों पर डिपेंड करना पड़ता है. अगर यह सभी प्रोडक्ट बिहार के अंदर बनते हैं तो उनकी कंपनी थोक के भाव में खरीदने को तैयार है इससे यह फायदा होगा कि बिहार में छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा विदेशों का पैसा बिहार के अंदर आएगा और बिहार के फूड प्रोडक्ट्स का स्वाद पूरी दुनिया के लोग ले पाऐगे. उन्हें राज्य सरकार वह बैंकों से कोई मदद नहीं चाहिए रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी उनकी कंपनी बेहतर कार्य कर रही है.

रवि कहते हैं कि 45 लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ने के बाद वह बिहार की माटी का कर्ज उतारने के लिए साउथ अफ्रीका में सेटल होने के बावजूद पटना को अपनी कर्मभूमि बनाया है. कई देशों में फैला व्यवसाय को देखने के क्रम में उनका पूरा ध्यान फिलहाल बिहार पर केंद्रित है वे जानते हैं कि बिहार के कर्मठ युवाओं को हुनरमंद हाथों को अगर स्व-रोजगार से जोड़ा जाए तो और बेहतर किया जा सकता है. बिहार मे उत्पादित होने वाले खाद्य पदार्थों जैसे मुजफ्फरपुर के लीची हाजीपुर का केला मधुबनी का कतरनी चावल मसाले मखाना वाले अन्य उत्पाद विदेशी बाजार में भेजने की व्यवस्था में लगे हुए है जिससे स्थानीय स्तर पर किसानों को वाजिब मूल्य मिले.

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