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सीवान : डॉ केडी रंजन ने कोरोना में आयुर्वेद और सकारात्मक सोच को बताया कारगर, कहा-भाप और सरसों के तेल हैं अत्यंत लाभकारी

सीवान जिले के सिसवन प्रखंड के नोनॅया पट्टी गांव के निवासी और आयुर्वेद महाविद्यालय छपरा के रोग निदान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ रंजन कुमार दुबे उर्फ केडी रंजन ने बढ़ते कोविड-19 के संक्रमण में आयुर्वेद की औषधियो के प्रयोग से काफी मरीजों को स्वस्थ किया है.

इस सम्बन्ध में डा दुबे ने आम लोगों से अपील किया है कि संक्रमण के प्रथम चरण से ही सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के साथ आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन, सकारात्मक सोच और संक्रमण से बचने हेतु पूर्व से स्वर्ण प्राशन का प्रयोग, सायंकाल धूपन या हवन, योग और प्राणायाम के साथ स्वेदन या भाप लेना, सरसों तेल का प्रयोग नित्य दोनों नासा में करना काफी लाभकारी देखा जा रहा है. यह बहुत गंभीर बीमारी से संक्रमित नहीं होने दे रहा है. डॉ रंजन ने कहा कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान द्वारा निर्देशित चार विशेष औषधियों के सेवन करने वाले मरीज आठ से 10 दिनों में ठीक हो जा रहे हैं और दोबारा उनका करोना टेस्ट कराने पर नेगेटिव आ रहा है. इस तरह के 50 से अधिक प्रयोग सीवान जिले के विभिन्न भागों से आए रोगियों पर भी किया गया है, जिनका आरटी-पीसीआर पॉजिटिव और सीआरपी संक्रमण भी काफी बड़ा था उन्हें आयुर्वेद की औषधियों के सेवन से आज बिल्कुल स्वास्थ्य मिल गई है. इसलिए आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन निश्चित तौर पर इस काल में करना चाहिए.

आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से मरीजों को गंभीर संक्रमण नहीं हो रहा है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है. इस विषय पर देश के अन्य भागों में भी काफी काम किया जा रहा है. इसके साथ ही रोजमर्रा के जीवन में भाप लेना और गर्म जल से गर्म जल का नित्य सेवन करना और नाक के दोनों नासा में सरसों तेल डालने से भी वायरस का उपरी हिस्सा जो टूट जा रहा है और वायरस कमजोर हो रहे हैं. वायरस के उपरी परत के टूट जाने से संक्रमण नहीं हो पा रहा है, इसलिए हल्के लक्षण भी आने पर भाप का प्रयोग हम निश्चित तौर पर करें. इन तमाम औषधियों के साथ हमें सकारात्मक सोच भी रखनी चाहिए जो हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करता है. 300 से अधिक रिसर्च में यह देखा गया है कि जीवन के तनावपूर्ण घटना शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम पर असर डालती है. इसलिए इस संक्रमण काल में हमें सकारात्मक रहने की आवश्यकता है.

वैसे एक नया प्रयोग आयुर्वेद में स्वर्ण प्राशन को लेकर पीजीआई सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च फाउंडेशन में हुआ है. जो व्यक्ति जो लोग करोना काल में इसका सेवन करते हैं उन्हें संक्रमण नहीं हो रहा है. खासकर के बच्चों में इसका प्रयोग सर्वाधिक सफल रहा है, इसलिए हम बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक दे सकते हैं. इससे इम्यून सेल व की सेल में इजाफा होता है एवं एंटीबॉडी खत्म होने की अवस्था में भी की सेल ही करोना से हमारी रक्षा करता है. हमें अपने घरों में सायं या सुबह में नित्य प्रति विशेष तरह के बनाये गये धुपन या हवन का प्रयोग कर के संक्रमण को रोका जा सकता हैं. शोध में यह बातें निकल कर आई हैं कि आम की सूखी लकड़ी या गाय के गोबर के बने उपले के साथ हवन का प्रयोग से संक्रमण कम करने में काफी सहायक सिद्ध हुआ है इसका एक प्रयोग राजकीय आयुर्वैदिक महाविद्यालय द्वारा भी किया गया है. इसके साथ ही हम अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए एवं योग प्राणायाम को रोज के कार्यों में शामिल करना भी संक्रमण की दर को कम करने में सहायक सिद्ध हो रहा है. सामाजिक दुरी, मास्क का प्रयोग, सरकार द्वारा निर्देशित नियमों के पालन से हम मानवता को इस आपदा से बचा सकते हैं. (अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट).

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