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सीवान : रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स क्लब की गोलकीपर धर्मशिला खेल कोटा से सशस्त्र सीमा बल में चयनित

अभिषेक श्रीवास्तव

कहते हैं कि धैर्य और साहस के साथ लगन से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहने वाले लोगों को सफलता अवश्य ही मिलती है. इस बात को सच साबित कर दिखाया है मैरवा प्रखंड के बभनौली गांव के फागु राम की इकलौती बेटी धर्मशिला. धर्मशिला का चयन सशस्त्र सीमा बल में खेल कोटा से बतौर गोलकीपर हुआ है. जिसे मंगलवार को रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी मैरवा के केंद्र हिमेश्वर खेल विकास केन्द्र लक्ष्मीपुर से पश्चिम बंगाल के ट्रेनिंग सेंटर के लिए रवाना किया गया.

विदित हो कि धर्मशिला कुमारी रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स क्लब में बतौर फुटबाल गोलकीपर खेलती है और राष्ट्रीय स्तर पर बिहार टीम में शामिल होकर तीन-चार बार राष्ट्रीय स्कूली व जूनियर महिला फुटबाल प्रतियोगिता खेल चुकी है. जिसमें उसे रजत व कांस्य पदक प्राप्त हुए हैं. धर्मशिला की नियुक्ति वर्ष 2015-16 में  स्पोर्ट्स कोटा से लिए गए आवेदन के आधार पर किया गया है. जिसमें विभिन्न चरणों में आयोजित चयन प्रक्रिया में शामिल होने के उपरांत सफलता प्राप्त करने पर हुई है.

अपनी इस उपलब्धि पर धर्मशिला का कहना है कि पुराने समय में कहा जाता था कि “पढोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे-कुदोगे तो होगे खराब”. लेकिन इस समय में ऐसी बात नहीं है, पढाई के साथ-साथ यदि खेल में भी कैरियर बनाना चाहते हैं तो थोड़ा परिश्रम ज्यादा करना होगा. धर्मशिला ने कहा कि आज खेल के माध्यम से भी लोग नाम और प्रतिष्ठा अर्जित कर रहे हैं. उसने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि अर्द्धसैनिक बल में शामिल होकर मुझे देश सेवा करने का मौका मिला है. साथ ही खेल जो कि मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, सशस्त्र सीमा बल ने खिलाड़ियों को खेलने की भी व्यवस्था की है. धर्मशिला ने अपनी इस उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता और परिवार के साथ साथ अपने प्रशिक्षक संजय पाठक को श्रेय देती है. धर्मशिला ने बताया कि माता-पिता ने मुझ पर विश्वास किया और खेलने के लिए कभी भी मना नहीं किया. जबकि मेरे संजय सर ने मुझे गांव से लाकर प्रशिक्षण देकर मुझे खेल की बारीकियों को सिखाया, इतना ही नहीं उन्होंने कभी भी किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने दी. मुझे ही नहीं किसी भी खिलाड़ी को किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने देते हैं जिससे हमलोगों का मनोबल काफी ऊँचा रहता है.

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