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पढ़िए : ईद के मौके पर एक डॉक्टर ने बच्चे को ईदी में क्या दे दिया !

अभिषेक श्रीवास्तव 
कहते हैं कि चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं. एक चिकित्सक के लिए अपनी फीस से ज्यादा अहमियत मरीज का इलाज होना चाहिए. इन बातों को अक्षरश: सच साबित कर दिखाया है सीवान के प्रसिद्ध हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ डॉ रामेश्वर कुमार सिंह ने जिन्होंने अपनी फीस और समय की परवाह किये बगैर एक गरीब रिक्सा चालक के लड़के का न सिर्फ मुफ्त में इलाज किया बल्कि उसका सफल ओपरेशन कर उसे नयी जिंदगी दी वह भी ईद के दिन.
बता दे कि रविवार को जब पूरी दुनिया के लोग मुसलमान भाईयों के ख़ुशी और उल्लास के पर्व ईद-उल-फितर मनाने में लगे थे . उसी दरम्यान सीवान के गौतम बुद्ध नगर तरवारा थाना क्षेत्र के शम्भुपुर गाँव निवासी एक गरीब रिक्सा चालक जियाउल हक का लड़का फरमान अली पेड़ पर चढने के दौरान गिर गया जिससे उसके दाहिने हाथ की दोनों हड्डियाँ टूटकर चमड़ी से बाहर निकल गई और उन हड्डियों में खेत की मिटटी और बालू बुरी तरह लग गया.
अपने जख्मी बेटे के खून से लतफत हाथ को पकड़कर रिक्सा चालक सीवान सदर अस्पताल पहुँचा जहाँ मौजूद डाक्टर एवम् कर्मचारियों द्वारा उसका प्राथमिक उपचार किया गया. प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पताल के डाक्टर ने बताया कि इसे तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है. मग़र, गरीब रिक्सा चालक पिता  के पास ऑपरेशन के लिए कोई पैसा नही था. जिसके बाद सदर अस्पताल पहुंचे कुछ लोगों ने उसे शहर के प्रसिद्ध हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ डाक्टर रामेश्वर कुमार सिंह के पास जाने को कहा. लोगों ने बताया कि डॉ रामेश्वर सीवान जिले के ऐसे चिकित्सक हैं जो मरीज से फीस की नहीं बल्कि उसे शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं. लोगो की बाते और उनके सुझाव पर गरीब रिक्सा चालक अपने जख्मी बेटे को शहर गौशाला रोड स्थित डॉ रामेश्वर के साई क्लिनिक में ले गया. जहाँ साड़ी बाते जानने के बाद रामेश्वर कुमार ने बगैर कोई फीस लिए मुफ्त में जियाउल हक के बेटे फरमान का तुरंत ऑपरेशन किया.
ऑपरेशन के बाद फरमान बिलुल स्वस्थ और ठीक है. दर रामेश्वर ने कहा कि यह मेरी तरफ से फरमान को ईद का तोहफा है. जिसके बाद रिक्सा चालक जियाउल हक़ ने डाक्टर रामेश्वर कुमार और ऑपरेशन में उनके साथ रहीं सहयोगी चिकित्सक डाक्टर सृस्टि सौम्या के साथ डॉ रामेश्वर की क्लिनिक के सभी कर्मचरियों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया. जियाउल हक़ ने कहा कि डॉ साहब मेरे लिए अल्लाह के दूत के समान हैं जिनका एहसान मैं ताउम्र न अदा कर सकता हूँ और ना भूल सकता हूँ.
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