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नालंदा : ऐसा गांव जहां दुल्हन लग्जरी गाड़ी की बजाय नाव से होती है विदा, 45 सालों में नहीं बन पाया गांव में पुल

नालंदा में एक ऐसा गांव है, जहां शादी होने पर दुल्हन की किसी लग्जरी गाड़ी के बजाय नाव से विदाई होती है. कारण है गांव से पार जाने के लिए किसी पुल या सड़क का नहीं होना. 45 सालों में भी यहां नदी पर एक पुल नहीं बन पाया है. ये दास्तां हैं बिहारशरीफ प्रखंड के जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरगावां पंचायत के नेवाजी बिगहा गांव की.

बता दें कि गांव के ग्रामीण सोईबा नदी में जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को विवश हैं. इस गांव में रात में बारात आई थी. शादी के बाद नाव पर बिठाकर दूल्हा-दुल्हन और बारातियों को विदा किया गया. हिचकोले खाती नाव पर ही नई नवेली दुल्हन भी अपने हमसफर के साथ जिंदगी के नए सफर पर निकली.

गौरतलब है कि नवाजी बिगहा, डंबर बिगहा, हरगावां, बभन बिगहा, प्रभु बिगहा, विष्णुपुर, गुलनी, नेपुरा, प्रभु विगहा, बेरौटी, इंद्रपुर गांव के हजारो लोग इससे प्रभावित हैं. पिछले चुनाव में पुल बनाने की मांग की गई थी, जिसे लेकर वोट वहिष्कार भी हुआ था. उस वक़्त आश्वासन दिया गया, लेकिन आश्वासन फाइलों में ही सिमट कर रह गया. यह गांव राजगीर विधानसभा में आता है जहां पिछले 45 सालों से एनडीए के विधायक का कब्जा रहा है, बावजूद इसके पुल का निर्माण नहीं किया जा सका है.

वहीं गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पुल नहीं रहने से रोजमर्रा की परेशानियों से जूझना पड़ता है. हर दिन जिंदगी से जद्दोजहद करनी पड़ती है. नदी के आसपास के दर्जन भर गांव की हजारों की आबादी पुल नहीं होने से बुरी तरह प्रभावित हैं. गांव विकास से पूरी तरह वंचित हैं. लोग नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर जीवन जीने को मजबूर और लचार हैं. जो भी एक बार इस गांव में आता है तो फिर वह भगवान से यही दुआ करता हैं कि वह पुनः इस गांव में वापस लौट कर ना आये. अगर, किसी की बारात आती है तो विदाई से लेकर बारात आने जाने तक का काम एकमात्र सहारा नाव ही है. (प्रणय राज की रिपोर्ट).

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