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कैमूर : दुर्गावती में झोला छाप डॉक्टर के कारण दो मासूम बच्चों की गई जान

कैमूर से बड़ी खबर है जहां दुर्गावती थाना क्षेत्र के खामीदौरा गांव के दलित बस्ती में एक ही घर के दो बच्चों की हुई मौत से परिजनों में चित्कार मच गया. दोनों बच्चे सगे भाई बहन थे.

मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार की रात करीब 12 बजे गांव के रवि राम की उम्र लगभग आठ वर्षीय पुत्री निराशा को उल्टी दस्त होने लगी तथा कुछ ही समय बाद तीन वर्षीय पुत्र सत्यानंद को भी उल्टी होने लगी. रात होने के कारण लोग सुबह होते ही दोनों को क्षेत्र के ही एक प्राइवेट क्लीनिक में ले गए. जहां बुधवार की सुबह दोनों की हालत बिगड़ते देख चिकित्सक द्वारा अन्यत्र रेफर कर दिया गया. रेफर किए जाने के बाद दोनों को इलाज के लिए क्षेत्र के ही एक अन्य दूसरे क्लीनिक में ले जाया गया. इसी क्रम में उम्र लगभग तीन वर्षीय सत्यानंद की हालत काफी नाजुक होने लगी थी. जिसे आनन-फानन में एक मोटरसाइकिल द्वारा यूपी चंदौली के एक अस्पताल में ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने सदानंद को देखते ही मृत घोषित कर दिया. तब तक इधर आठ वर्षीय निराशा की भी मौत हो गई. दोनों की मौत से परिजनों में चित्कार मच गया.

माता कंचन देवी को ढांढस बंधाते लोगो की आखे नम हो जा रही थी. सगे चार भाई बहनों के आंसूओ की धार थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. वही दुसरी तरफ अपने दोनों बेटे बेटियों की हुई मौत से पिता रवि राम की पथराई आंखें अपनी किस्मत को कोसती नजर आ रही थी. दरवाजे पर जुटी भीड़ मृतकों के परिजनों को ढांढस बंधाते नजर आई.अपने गरीबी का दंश झेलते हुए परिजनों ने दोनों शवों के अन्तिम दाह संस्कार को लेकर गांव से थोड़ी दूर नदी किनारे नम आंखों से मिट्टी दिया.

इधर, मृत बच्चों के मां को भी दस्त से बढ़ी परेशानी को देखते हुए परिजनों द्वारा पीएचसी ले जाया गया. जहां स्थिति में सुधार बताई जा रही है. इलाज कर रहे चिकित्सक डॉक्टर निखिल अंसारी द्वारा पूछे जाने पर बताया गया कि महिला में डायरिया संबंधित ऐसी कोई लक्षण नहीं दिखी. दो-तीन दस्त हुआ था. स्थिति सामान्य है. इलाज व दवा देने के बाद छोड़ दिया गया. वहीं इस मामले की जानकारी होते ही स्वास्थ विभाग की टीम खामीदौरा गांव पहुची. जिसे परिजनों ने बिमारी, उपचार व मौत सम्बंधित जानकारी दी.

खामीदौरा गांव पहुंचे पी एच सी की टीम में शामिल डाक्टर अरुण कुमार पाण्डेय द्वारा पूछे जाने पर बताया गया कि परिजनों के बताएनुसार जानकारी मिली है कि रात में खाना खाने के कुछ समय बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी. परिजनो द्वारा किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था. लेकिन दोनों बच्चों की मौत हो गई है. मामले की पूरी जानकारी की जा रही है. कानूनी तौर पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही चिकित्सक ने पूछे जाने पर यह भी बताया कि दुर्गावती में सिर्फ तीन ही वैध यानी रजिस्टर्ड प्राइवेट अस्पताल है .

परिजनों में शामिल मृत बच्चों के पिता रवि राम तथा दादा सुखराम राम की माने तो वे बताते हैं कि बच्चों की तबीयत खराब हुई तो हम लोग निकट के सरियाव गांव के एक अस्पताल में ले गए. जहां स्थिति नहीं सुधरी तो पहले तीन वर्षीय पुत्र सत्यानंद को डॉक्टर ने अपने कंपाउंडर को साथ लगाकर मोटरसाइकिल से हम लोगों के साथ इलाज के लिए चंदौली भेजवाया. लेकिन चंदौली में जिस अस्पताल में पहुंचे वहां पहुंचते ही डॉक्टर ने बच्चे को देखते ही मृत घोषित कर दिया. वहीं दूसरी तरफ जब इधर बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो करीब दिन के 8 बजे  रेफर कर दिया गया. जब घर के लोग इधर बच्ची को लेकर दुर्गावती के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे तो वहां भी बच्ची को देखते ही चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया. मृतक के पिता व दादा ने लापरवाह झोलाछाप चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि समय रहते बच्चे को रेफर कर दिया गया होता तो दोनों बच्चे की जिंदगी बच गई होती. (विशाल कुमार की रिपोर्ट).

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