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पाकुड़ : एक पहल की टीम एवं एलेक्स सैम की मदद से हुआ गरीबों के बीच दो माह का राशन वितरित

मक़सूद आलम

https://youtu.be/yKrKFRy9b8E

पाकुड़ में ‘एक पहल’ संगठन उन भूखे बच्चों की रोटियों का इंतज़ाम कर रहा है, जिनके सपनों में कुछ समय पहले तक परियां रोटी लेकर आती थी. ये संगठन सिर्फ भूखे बच्चों का ही पेट नहीं भर रहा, बल्कि उस हर उम्र की भूख का ख़याल रख रहा है, जो कभी खाली पेट सोने पर मजबूर हुआ करते थे. सामाजिक आइनें में झाँक कर ढूंढ निकाली पाकुड़ शहर के चंद गिनती भर लोगों ने इंसानियत से लबरेज़ एक सोच. सोच उस भूख के खिलाफ, जहां लड़ते हुए हमारे समाज का एक खास तबका अपने पेट को भरने की जद्दोजहद से जूझ रहा है.

बता दें कि झारखंड का सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ जहां शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,गरीबी,से पिछड़ा है. पाकुड़ सदर ब्लॉक के इशाकपुर पंचायत के चंद्रपाड़ा गांव जहाँ लगभग दो सौ गरीब परिवार है. जिन्हें अबतक सरकार की तरफ से जन वितरण प्रणाली योजना का लाभ नही मिल रहा है, उसी में से पांच ऐसे परिवार है जो भूख से बिल बिला रहे हैं. क्योंकि उन परिवारों का अबतक राशन कार्ड नही मिला है।इसकी खबर मिलते ही “एक पहल” की टीम और पाकुड़ के समाजसेवी एलेक्स सैम ने दो माह का राशन देने का बीड़ा उठाया.

‘एक पहल’ टीम के प्रवीण कुमार सिंह, डोली पांडेय, नीरज कुमार मिश्रा, गुंजन साहा, नवीन कुमार सिंह,सुनील कुमार सहित एक दर्जन सदस्य के अलावे समाजसेवी एलेक्स सैम गांव पहुंचे और गरीबो के लिए भोजन की व्यवस्था किया. एक पहल की टीम ने चंद्रपाडा गांव के पांच गरीब परिवारों को एक माह का भोजन व्यवस्था कराई. इसके अलावे एलेक्स सैम में पाकुड़ बुलाकर दिन का भोजन कराया साथ ही एक माह का राशन भी उपलब्ध कराया.पांच परिवारों को दो माह का भोजन उपलब्ध कराया.

कैसे चलता है एक पहल संगठन :

‘एक पहल’ संगठन कुछ युवाओं ने मिलकर शहर में सामाजिक तौर पर गरीबों की मदद करने के लिए बनाया है. इस संगठन के कार्यकर्त्ता शहर के घरों से रोटियां इकट्ठी करते हैं. जिस घर से जितनी रोटी मिल जाये. हर घर अपनी श्रद्धा और अपनी सहजता के हिसाब से रोटी दान करता है. दिन भर में जमा की गई रोटी शाम होते ही गरीबी की मार झेल रहे भूखे लोगों में बांट दी जाती है. हालांकि यह संगठन वर्तमान में सप्ताह में तीन दिन गरीबो के बीच भोजन कराती है लेकिन आने वाले दिनों में प्रतिदिन शुरू करेगी. वैसे ये सच है, कि अधिकतर लोग नेम और फेम के लिए इस तरह के सामाजिक कार्यों को करते हैं. लेकिन ‘एक पहल’ संगठन के वॉलेनटियर्स ने कहा कि हम नाम के लिए इस संगठन को नहीं चला रहे और न ही हमारा संगठन किसी एक व्यक्ति का है. जो हमसे मिलता है, वो हमसे जुड़ता जाता है. हम एक टीम की तरह काम करते हैं. यहां कोई ‘मैं’ नहीं बल्कि हमसब ‘हम’ हैं.

शहर के विख्यात समाजसेवी एलेक्स गरीबों का मसीहा से कम नही :

जिला मुख्यालय में चाइल्ड होम चलाने वाले एलेक्स सैम और उनकी पत्नी सुनीता एलेक्स दिन रात अनाथ बच्चों की सेवा में लगी रहती है. अबतक दर्जनों अनाथ बच्चों को पढ़ा लिखाकर नई इबारत लिख रही हैं. आश्चर्य की बात है दोनों पति-पत्नी अबतक सरकार के तरफ से एक रूपया भी मदद नही ली है. एलेक्स देश विदेश में जाकर लेक्चर देते हैं।जबकि दो दो अंग्रेजी माध्यम की स्कूल चलाते हैं. उसी पैसों से निस्वार्थ भाव से बच्चों को पढ़ाते है.

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