दुमका : जिले को है खुले में शौच से मुक्त का दर्जा पर एक ऐसा गांव जहां नहीं है एक भी शौचालय
दुमका जिला के जामा प्रखंड के अगोईया गांव के जाहेर टोला में मूलभूत सुविधाओ की घोर कमी है. इस टोला में करीब पंद्रह घर हैं. जिसकी जनसंख्या करीब 120 है. इस टोला के ग्रामीण अपने को बहुत उपेक्षित समझते है.
जहाँ एक ओर दुमका जिला प्रशासन और सरकार “खुले में शौच मुक्त गांव” का बोर्ड गांव-गांव लगा रही है वही अगोईया गांव के जाहेर टोला में सरकार के तरफ से एक भी शौचालय नही बना है. इससे ग्रामीण नाराज और अपने को उपेक्षित समझ रहे है.
वहीं इस टोला में कुल दो चापाकल है जिसमे एक मंझी मरांडी के घर के सामने का चापाकल पांच वर्ष से ख़राब है. मिस्त्री इसका हेड आदि खोलकर कही दुसरे जगह ले चले गए है. अब तो यह चापाकल पूर्णत: बेकार हो गया है. दूसरा चापाकल बड़का टुडू के घर के सामने का है जिसे चलाने के दस मिनट बाद पानी निकलता है.
स्थानीय निवासी बरका टुडु का यह भी कहना है कि इसमें पाइप सड़ जाने के कारण कुछ पाईप निकाल दिए गए है और कुछ लिक है जिस कारण बहुत देरी से पानी उठता है. इससे टोला में पीने के पानी की हमेशा किल्लत रहती है. इस टोला में दो कुआँ है जो एक कुआँ पूरी तरह से जर्जर हो गया है.आज-कल में कब धस जायेगा कहना मुश्किल है. लेकिन पानी की किल्लत के कारण ग्रामीण जोखिम उठाकर इन कुआँ से पानी लेने के लिय मजबूर है.
वहीं दूसरी ओर इस गाँव में पीसीसी ढलाई भी नही है जिस कारण ग्रामीणों को आने-जाने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. स्थानीय निवासी सोना बास्की का कहना है कि जन प्रतिनिधियों और सरकार/प्रशासन के उदासीनता के कारण इस टोला में विकास नही हो पा रहा है. ग्रामीणों का मांग है कि इस टोला में सभी घर को जल्द से जल्द शौचालय की सुविधा दिया जाय, कुआँ का जीर्णोद्धार किया जाय, टोला में पीसीसी ढलाई किया जाय,ख़राब पड़े चापाकल का मरम्मति किया जाय और दो नया चापाकल लगाया जाए इस गांव में शौचालय नही होने के कारण बहु, बेटियों, महिलाओं के साथ बुजुर्गो को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है, सभी खुले में शौच करने के लिय मजबूर है. किसी कारण वश रात को बहु, बेटियों और महिलाओं को खुले में शौच जाना पड़ता है तो किसी अनहोनी घटना का शंका सदा सताते रहता है.खुले में शौच करने से टोला में बिमारी फैलने का संभवना बनी रहती है.
गौरतलब है कि एक तरफ जहां सरकार स्वकच्छ भारत मिशन चला रहीं जिसपर करोड़ों रुपये खर्च हो रहा हैं वहीं इस गाँव की दशा यह बयां करती है कि कहीं न कहीं बड़ी कमी है. दिलचस्प बात यह दुमका ज़िला को खुले में शौच मुक्त ज़िला घोषित किया जा चूका हैं.
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