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दुमका : 42 गांवों को शहर-नगरपालिका में मिलाने के विरोध में ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

दुमका में 42 गांवो को शहर और नगरपालिका में मिलाने के विरोध में सरवा पंचायत के गांवो के मंझी बाबा (ग्राम प्रधान), जोग मंझी, नायकी, गुडित, प्राणिको के संयुक्त आह्वान व नेतृत्व में एनआईसी ऑफिस के सामने मैदान में ग्रामीणों द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन दिया गया.

धरना प्रदर्शन की शुरुआत संताली भाषा में देश भक्ति गीत से शुरू किया गया. सभी गांव के मंझी बाबा (ग्राम प्रधान), जोग मंझी, नायकी, गुडित, प्राणिको और ग्रामीणों ने अपने-अपने विचार रखे. सभी ने एक स्वर में सरकार द्वारा 42 गांवो को दुमका शहर व नगरपालिका में मिलाने का विरोध किया और मास्टर प्लान तैयार करनेवाली कंपनी मार्स प्लानिंग एंव इंजीनियरिंग सर्विस कंपनी के विरुद्ध नारा लगाया “मार्स कंपनी वापस जाओ, गरीबों को उजाड़ना बंद करो”. ग्रामीणों और वक्ताओ का कहना है कि इसके पूर्व में भी सरकार को रैली प्रदर्शन कर और ग्राम सभा कर सरकार को मेंमोरेंडम के माध्यम अवगत कराया गया था कि 42 गांव किसी भी हालत में दुमका शहर में नही मिलना चाहते है, लेकिन सरकार के तरफ से कोई भी उत्तर नही आया. इससे ग्रामीण आहत और दुखी है. ग्रामीणों और वक्ताओ का कहना है की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत जनजातीय समुदाय की सुरक्षा एंव संरक्षण प्रदान करने के लिय विशेष प्रावधान रखा गया है. शहरीकरण के तहत अनुसूचित गांवो को मिलाने से यहाँ के ग्रामीणों को मिले क़ानूनी संरक्षण एंव सुरक्षा ख़त्म हो जाएगी. जिसके फलस्वरूप आदिवासी के साथ-साथ मूलवासियो, किसानो, गरीबों का जमीन का अतिक्रमण होगा जिससे आदिवासी और मूलवासियो का अस्तित्व खतरे में हो जाएगी. ग्रामीणों का कहना है जहाँ एक ओर झारखण्ड सरकार आदिवासी और मूलवासी के भावनाओ और हित के विरुद्ध एसपीटी, सीएनटी एक्ट का लगातार संशोधन का कोशिश कर रही है. गरीबों के विरुद्ध भूमि अधिग्रहण ला रही है.

वही दुसरे ओर शहर के विस्तारीकरण कर गांवो को शहर में जोड़ कर किसानों, ग्रामीणों, गरीबो, आदिवासी, मूलवासी के हित के विरुध काम कर रही है. जिन गांवो को दुमका शहर में जोड़ा जा रहा है, वहां का 85-95% प्रतिशत आबादी का मुख्य आजीविका अभी भी कृषि पर निर्भर है,जिनका आमदनी बहुत कम है. ग्रामीणों और वक्ताओ ने कहा कि भारत गांवो का देश है, पंचायती राज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का सपना है. अगर गांवो को नगरपालिका में मिलाया जाता है तो यह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के सपनों और ग्रामीणों का विश्वास को तोड़ना होगा.जिससे विकास वाधित होगी. वक्ताओ ने आगे कहा किसी भी हालत में 42 गांवो को दुमका नगरपालिका में नही मिलने दिया जायेगा. अगर गांवो को नगरपालिका से जोड़ा गया तो पंचायती राज खत्म हो जायेगे,प्रधानी व्यवस्था खत्म हो जाएगी, आदिवासियों का स्वशासन व्यवस्था “मांझी परगना व्यवस्था” ख़त्म हो जाएगी. प्रधान, जोग मंझी, नायकी, गुडित, प्राणिको, मुखिया सभी खत्म हो जायेगे. गांव के 85-95% आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर करती है. जिनका आमदनी सिचाई के अभाव में अच्छी नही है, जो रोज काम करते है तब जाकर घर में दो वक्त का खाना बन पाता है.इस से गरीब किसानों में नये नये कर का बोझ और बढ़ेगा और किसान कर्ज के बोझ से बेघर और आत्महत्या के लिय मजबूर हो जायेगे. भवनों, घरो में होल्डिंग टैक्स लगने लगेगे. बिजली दर बढ़ जायेगे. इसके साथ ग्रामीणों को कई अन्य टैक्स देना पड़ेगा. गांवो को शहर से जोड़ने का सीधा मतलब है कि अन्नदाता किसानों और गरीबों का हत्या है. वक्ताओं ने यह भी दुःख व्यक्त किया कि जहाँ एक ओर सरकार ग्राम उदय से भारत उदय और सभ का साथ सभ का विकास की बात करती है.

वही दुसरे ओर बिना ग्राम सभा के अनुमति के सरकार विकास के नाम हम गांवो को शहर में जोड़ रही है. वक्ताओं और ग्रामीणों ने यह भी कहा सभी पक्ष और विपक्ष राजनितिक पार्टिया इस शहरीकरण के विस्तार के मुद्दे में कुछ भी नही बोल रहे और न ही इसके विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे. इन सभी पार्टियों को आने वाले चुनाव में इनके नतीजे भुगतना पड़ेगा. जो भी पार्टी या नेता इस शहरीकरण का विरोध और आन्दोलन करेगे 42 गांव के ग्रामीण उन्ही का साथ देगे. 42 गांवो को दुमका शहर में नही मिलाने को लेकर ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय के माध्यम राज्यपाल और मुख्यमंत्री को मेमोरेनडम दिया.

इस धरना प्रदर्शन में धनेश्वर रॉय, नन्दलाल सोरेन, सुनिलाल हांसदा, मंजुलता सोरेन, संतोषनी बेसरा, सुरेश रॉय, लखन रॉय, सोम मुर्मू, दोरोथी हेम्ब्रोम, मेरीला हेम्ब्रोम, नीलू मरांडी, संतोष हांसदा, सिमन किस्कू, हेलेना हांसदा, पनमुनी सोरेन, बिटिया सोरेन, निर्मला हांसदा, हितलाल सोरेन, राम टुडू, किरण बास्की, होपना सोरेन, प्रभु हेम्ब्रोम के साथ जोगीडीह, करमटोला, हिजला, हडवाडीह, धतिकबोना, महवाडंगाल, विजयपुर, सरुवा आदि गांवो के महिला पुरुष ग्रामीण काफी संख्या में उपस्थित थे.

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