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चाईबासा : ग्रामीणों ने ओडिशा-झारखंड सीमा पर बीआरपीएल कंपनी की अयस्क ढुलाई कार्य को रोका

चाईबासा में झारखण्ड सीमा से सटा ओडिशा स्थित बीरपीएल कंपनी से झारखण्ड होते खनिज सम्पदा की होने वाली ढुलाई कार्य को बोकना में ग्रामीणों ने पूरी तरह से रोक दिया है. माल ढुलाई कार्य को 8 जनवरी की सुबह लगभग 9 बजे से पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, दिरीबुरु पंचायत के मुखिया गंगाधर चातोम्बा, वार्ड सदस्य अनीता पुरती, सामाजिक कार्यकर्ता पवन सिंह, विजय बोदरा, सोमा चाम्पिया, दुनिया पुरती, दुम्बी चाम्पिया, अर्जुन आदि के नेतृत्व में सड़क जाम कर अयस्क ढुलाई को पुरी तरह से ठप कर दिया गया है.

इस संबंध में मंगल सिंह बोबोंगा, मुखिया गंगाधर चातोम्बा आदि ने बताया की बीआरपीएल कंपनी ओडि़सा में अपना प्लांट लगाकर खनिज सम्पदा को बोकना गांव क्षेत्र के रास्ते ढुलाई कर रही है. यह कंपनी पूरे क्षेत्र में प्रदूषण फैलाकर झारखण्ड की जंगलों, प्राकृतिक जल श्रोतों, नदी-नाला को प्रदूषित व सुखाकर ग्रामीणों को विभिन्न बीमारियों से ग्रसित कर रही है. यहां जंगल के जीव जन्तु मर गये, तमाम प्रकार के पेडो़ं व पत्तों पर धूल बैठ गया है. वनोत्पाद का इस्तेमाल हम पूजा व खाने में इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं इस मामले में झारखण्ड प्रशासन व वन विभाग पुरी तरह से मौन है और उक्त कंपनी को इस गलत कार्य हैतु अंदर हीं अंदर पूरा सहयोग कर रही है. यह कंपनी ग्रामीणों को नौकरी, रोजगार या किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि पहले भी उक्त कंपनी चाईबासा के उपायुक्त व वन विभाग से मिलकर गोपनीय व गलत तरीके से डीएमएफटी फंड का पैसा जमा कराकर सीएसआर के नाम पर बिना ग्रामसभा व ग्रामीणों की सहमती लिये अपनी प्लांट से झारखण्ड के बोकना होते पीसीसी सड़क निर्माण प्रारम्भ की थी. लेकिन हम ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया था, जिसके बाद वन विभाग ने सड़क निर्माण में लगी जेसीबी मशीन को जब्त कर लिया था. उसके बाद से सड़क निर्माण कार्य रुका हुआ है. लेकिन माल ढुलाई कच्ची सड़क रास्ते जारी था.

आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि हमारी बीआरपीएल कंपनी से मुख्य मांग है कि वह जहां अपना डैम बनाई है, वहां आसपास रहने वाले 3-4 परिवारों का पक्का मकान बनाकर, बोकना क्षेत्र के लगभग 20 बेरोजगारों को कंपनी में स्थायी नौकरी, अन्य बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ना, बोकना क्षेत्र के लोगों के लिये एक एम्बुलेंस व समय समय पर चिकित्सा शिविर का आयोजन, पारम्परिक पर्व-त्योहार व कार्यक्रम का आयोजन हेतु सामुदायिक भवन, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, प्रदूषण नियंत्रण आदि की सुविधा उपलब्ध कराया जाये. अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन प्रारम्भ होगा एवं झारखण्ड के रास्ते उक्त कंपनी की खनिज सम्पदाओं की ढुलाई नहीं होने दिया जायेगा. इस आंदोलन मे भारी तादाद में ग्रामीण व महिलाएं शामिल है. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट).

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