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सीवान : बलेथा कदम मोड़ पर मिशन सेल्फ डिफेंस का हुआ आयोजन, छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर लिया हिस्सा

सीवान जिले के बलेथा कदम मोड़ स्तिथ एक कोचिंग संस्था में कराटे संघ के द्वारा निशुल्क मिशन सेल्फ डिफेंस कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां छात्राओं को आत्मरक्षा का सभी तरीके बताए गए. इस दौरान कोचिंग के शिक्षक शाहबुद्दीन, उमेश ने बताया की महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ खुद महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए संपूर्ण सुरक्षा अभियान की शुरुआत की गई.

सभी छात्र छात्राओं को सेल्फ डिफेंस सिखाकर उन्हें अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम बनाने की पहल की जा रही है. जिला कराटे संघ के अध्यक्ष मोनू कुमार ने कराटे खिलाड़ियों के साथ मिलकर स्वरक्षा की तकनीक बताई. इस विधा में छात्राएं अपने से शारीरिक बल में मजबूत अटैकर को मात देकर अपनी रक्षा कर सकती हैं. ट्रेनर मोनू कुमार ने छात्राओं को बताया कि कोई आपराधिक घटना कभी भी और कहीं भी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि मौजूद सामान्य चीजों और आसपास के वातावरण में मौजूद चीजों को हथियार बनाकर अपराधी का सामना कर खुद को सुरक्षित कर सके.

छात्राओं को पेन के जरिए हमला करना, दुपट्टे के इस्तेमाल से अटैकर को धूल चटाना सिखाया. छात्राओं को नानचाक, ब्लॉक, पंच, किक्स आदि की प्रैक्टिस भी कराई. छात्राओं और शिक्षिको ने इस पहल की सराहना की और वादा किया कि वे आगे प्रशिक्षण लेकर खुद को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करेंगी और दूसरी महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित करेंगी. इस दौरान छात्राओं को हाथ से ईंट फोड़ने का डेमो भी दिया गया. शिक्षक सेराज ने कहा कि कराटे के साथ वुमंस को हर दिन कम से कम 30 मिनट का वर्कआउट जरूर करना चाहिए. तकनीक के साथ फिजिकल स्ट्रेंथ भी मायने रखती है. जब कोई अटैकर सामने से गला दबाए और हाइट में अधिक हो तो उसकी कलाई पर पकड़ बनाते हुए नीचे की ओर जाएं. झटके से पकड़ हटाते हुए हथेली से उसकी आंखों पर मारें. जब तक वह इस हमले से संभल जाए उसकी नाक पर वार करें. इसमें तकनीक के अलावा ताकत की खास जरूरत नहीं होगी. इस दौरान जब तब अटैकर संभलेगा वहां से भाग सकेंगी.

ट्रेनर ने छात्राओं को तकनीक बताई. जैसे ही कोई हाथ पकड़े तो पंच पॉजीशन में आ जाएं और ऊपर की ओर खीचें. इसमें पोरों का मूवमेंट बहुत महत्वपूर्ण होता है. बचाव के साथ अटैक भी एक साथ हो जाता है. अक्सर महिलाओं को गलत इरादा रखने वाले पीछे से दबोचने की कोशिश करते हैं. इससे बचाव के लिए नीचे की ओर होकर ग्रिप को बदलें. शोर रोकने के लिए मुंह दबाता है. छोटी बच्चियों को मुंह दबाकर ही ले जाने की कोशिश की जाती है. ऐसे में जब भी कोई मुंह दबाए तो उसके मुंह दबाने वाले हाथ के अंगूठे को जोर से ट्विस्ट कर दें. यह छोटा सा अटैक भी बहुत कारगार है. खुद का मनोबल बढ़ाए रखें. (अमन राज श्रीवास्तव की रिपोर्ट).

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