सीवान : प्राइवेट मुंशी के सहारे चलता है बड़हरिया थाना
सीवान के बड़हरिया थाना में सरकार के नियम-कानून को ताक पर रखकर थाना प्रभारी द्वारा मनमानी किया जा रहा है. थाना तो सरकारी है, मगर उस में काम करने वाले लोग प्राइवेट है. थाने के इन प्राइवेट कर्मचारियों से रोजाना बाजार के तमाम लोगों की मुलाकात होती है.
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बता दें कि सदर बड़हरिया में थानाध्यक्ष की मौजूदगी में उनका दफ्तर संभालने वाले कर्मचारी उनके मुंशी के रूप में पहचान बना चुके हैं. आम लोग तो उन्हें सरकारी कर्मचारी ही समझते हैं. बड़हरिया थाने में तीन से पांच मुंशी तक है. थाना के कमरे इन्हीं मुंशियों के आने वालों लोगों से घिरा रहता है. मुंशी क्या-क्या करते हैं. यदि थाने में लगा सीसीटीवी फुटेज का अवलोकन किया जाए, तो दूध का दूध पानी का पानी सामने आ जाएगा. थाने की तमाम जांच जैसे पासपोर्ट, चरित्र, आदि इन्हीं मुंशी जी के हवाले होती है. दो-तीन माह ही पहले थाने में नव पदस्थापित आरक्षी सिपाही मुंशी कार्य कर रहे थे. लेकिन जिम्मेदारियों से मुक्त रखा गया था, केवल ड्यूटी बजाना उनका काम था.
गौरतलब है कि थानों की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री ने खुद उंगली उठाई थी. बिहार के पुलिस विभाग के आला अधिकारी ने बजाप्ता आदेश जारी किया था कि थाने में प्राइवेट तथा चौकीदार, दफादार से भी मुंशी का कार्य नहीं लेना है. इसके बावजूद प्राइवेट कर्मचारियों का धड़ल्ले से थाने में काम करना लूट खसोट का एक बड़ा कारण है. यह बात सही है. मुंशी पर काम का बोझ बढ़ा है. इसे कम करने के नाम पर थानेदारों ने अपने अफसरों से मुंशी रखने की खुली छूट ले रखी है. (राकेश रंजन गिरी की रिपोर्ट).
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