सहरसा : सदर अस्पताल प्रशासन-प्रबंधन की बड़ी लापरवाही आयी सामने, इलाज के दौरान बिजली कटने पर डीजल के अभाव में नहीं चल सका जेनरेटर, मोबाइल और टॉर्च की लाइट पर हुआ इलाज
सहरसा से बड़ी खबर है, जहां एकबार फिर सदर अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां एक वर्ष के छोटे बच्चे को सांप काटने पर जब परिजन सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिये लाये तो अस्पताल में बिजली नही थी और न ही जेनरेटर चलाया गया. जेनरेटर में डीजल ही नही था.
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बता दें कि लाइन कटने के बाद संविदा पर चल रहे जेनरेटर कर्मी तेल लाने गया, तब तक तकरीबन 45 मीनट तक बच्चे का इलाज मोबाइल की लाइट और टॉर्च के सहारे किया जाते रहा. इस दौरान अस्पताल प्रसाशन 45 मीनट तक मूकदर्शक बना रहा.
ऐसे में सदर अस्पताल प्रशासन और प्रबंधन पर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या सदर अस्पताल में टॉर्च की रोशनी पर इलाज करना कितना सही है, क्या बिजली गुल होने के बाद जेनरेटर के लिये डीजल लाने जाना कितना उचित है और क्या ऑपरेशन के दौरान बिजली गुल होने के बाद भी टॉर्च की हीं रोशनी पर ऑपरेशन किया जाता है ? (राजा कुमार की रिपोर्ट).
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