Abhi Bharat

नवादा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों का गांव जोह रहा बुनियादी सुविधाओं की बाट, ग्रामीणों की परेशानी चरम पर

नवादा में अकबरपुर प्रखंड अंतर्गत सुपौल गांव आदर्श ग्राम होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर है. इस आदर्श गांव में न तो स्वास्थ केंद्र है, ना ही जन वितरण प्रणाली केंद्र और ना ही एक भी बैंक है.

बता दें कि नवादा का सुपौल आदर्श ग्राम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपनों गांव माना जाता है. सीएम 2017 को यहां खुद आए थे. लेकिन आज यह गांव बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है. नीतीश कुमार के इस गांव में आने से ग्रामीणों में उम्मीदें तो बहुत जगी लेकिन अबतक सारी उम्मीदें अधूरी हैं. सीएम नीतीश कुमार ने छः साल पहले सुपौल गांव को जो सौगात दी थी वो सब काफूर हो चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आने के पहले सुपौल गांव को एक आदर्श ग्राम के रुप में जिला के आला अधिकारियों ने स्थनीय मुखिया के साथ मिलकर स्थापित कर दिया था. लेकिन, आज यह गांव बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है. नीतीश कुमार के इस गांव में आने से ग्रामीणों में उम्मीदें तो बहुत जगी लेकिन अबतक सारी उम्मीदें अधूरी हैं.

आज सुपौल गांव नाम का आदर्श ग्राम है, लेकिन ग्रामीणों की परेशानी चरम पर है. कोई अधिकारी इस गांव का हाल देखने तक नहीं आता. ऐसे में सवाल उठता है कि सीएम के सपनों के गांव के इस हाल का जिम्मेदार कौन है. क्यों आजतक किसी भी अधिकारी की इस पर नजर नहीं गई. सीएम के जाते ही लोगों का सपना चकनाचूर हो गया. आदर्श गांव में उन्नत कृषि व्यवस्था, आवासीय सुविधाएं, पेयजल व्यवस्था, स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएं, शिक्षा व्यवस्था, परिवहन सविधाएं, संचार सुविधाएं, ऊर्जा एवं पर्यावरण जागरूकता, औद्योगिक विकास और वित्तीय सुविधा होनी चाहिए. तभी एक गांव आदर्श ग्राम कहलाता है. सुपौल गांव को यह सारी सुविधाएं दी गई थी. ग्रामीण इससे बेहद खुश भी थे. लेकिन ग्रामीणों की ये खुशी ज्यादा समय तक नहीं रही. अब यह गांव बुनियादी सुविधाओं के लिए बाट जोह रहा है. (सन्नी भगत की रिपोर्ट).

You might also like

Comments are closed.