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नवादा : डेढ़ फुट ऊंची और बीस किलो की पालकालीन बेशकीमती मूर्ति मिली

नवादा से बड़ी खबर है, जहां पालकालीन एक बेशकीमती मूर्ति पायी गयी है. घटना कौआकोल प्रखंड के मंझिला पंचायत के लोहसिंहानी गांव की है. मूर्ति करीब डेढ़ फीट ऊंची और वजन 20 किलो ग्राम के करीब बताई जा रही है. ग्रामीणों ने मूर्ति को एक चबूतरे पर स्थापित कर विधि विधान के साथ मूर्ति की पूजा अर्चना शुरू कर दी गई है.

बता दें कि कौआकोल प्रखंड के मंझिला पंचायत के लोहसिंहानी गांव स्थित प्राचीन गढ़ से एक काले रंग की बेशकीमती पत्थर की मूर्ति निकली है. मूर्ति के निचले भाग पर मूर्ति वाले देवता का नाम लिखा हुआ है. हालांकि मूर्ति पर लिखी भाषा को लोग स्पष्ट पढ़ नहीं पा रहे हैं. अंदाज के आधार पर ग्रामीण इसे नटराज यानी भगवान शंकर की मूर्ति बता रहे हैं.

वहीं इस संबंध में नारद संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ विनय कुमार ने बताया कि यह मूर्ति भगवान शंकर की नहीं है. मूर्ति की नक्काशी आदि से यह बौद्ध मूर्ति प्रतीत होता है. उन्होंने इसे बौद्ध देवता जम्भल की मूर्ति बताया. क्यूरेटर ने बताया कि नक्काशी की बारीकी से ज्ञात होता है कि यह 12-13 वीं सदी के पाल काल के चरम काल की मूर्ति है. उन्होंने बताया कि एक नजर में पेट की ऊंचाई से यह कुबेर की मूर्ति जैसा लगी लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने इस तथ्य को पूरी तरह से खारिज किया कि यह भगवान शंकर की मूर्ति है. क्यूरेटर ने कहा के लोग मूर्ति को यहां-वहां न रखें. सीधे म्यूजियम में जमा करा दें ताकि मूर्ति की सुरक्षा हो सके. (सन्नी भगत की रिपोर्ट)

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