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छपरा : गर्भवती महिलाओं की हुई गोदभराई, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर गर्भवतियों को दी पोषण की पोटली

छपरा में वैश्विक महामारी कोरोना संकट काल में भी गभर्वती महिलाओं के पोषण का विशेष ख्याल रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस की ओर तमाम प्रयास किये जा रहें तथा कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं. स्वस्थ रहेगी जच्चा तो तंदुरुस्त होगा बच्चा इस कथन को आत्मसात करने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर गोदभराई रस्म अदायगी की गई.

बता दें कि इस दौरान कोविड-19 से बचाव के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए गर्भवती महिलाओं व परिजनों को कोविड-19 से बचाव के लिए जागरूक भी किया गया. वहीं मंगल गीतों के साथ गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई. जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे. महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी थाली व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे.

इस अवसर पर गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर महिलाओं की गोद भराई की रस्म पूरी की गई. सभी महिलाओं को अच्छे सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई.

गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की कामना :

गोद भराई रस्म में सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के सम्मान में उसे चुनरी ओढ़ा उसे तिलक लगा कर उनके गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की कामना की गई. साथ ही गर्भवतियों की गोद में पोषण संबंधी पुष्टाहार फल सेव, संतरा, बेदाना, दूध,अंडा डाल सेवन करने का तरीका बताया गया. साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी गई, जिसमें बताया गया कि गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पुष्टाहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं.

गर्भावस्था के अंतिम माह में पोषक तत्व की विशेष जरूरत :

सदर शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ कुमारी उर्वशी ने बताया कि जैसे ही महिलाओं को गर्भधारण की पुष्टि हो जाय, वह निकटतम स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सक के निगरानी में रहें तथा नियमित रूप से चेक-अप कराएं. उन्होंने गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया आखिरी महीनों में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा का होना जरूरी होता है. महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड, प्रसव पूर्व देखभाल, एनीमिया की रोकथाम व पौष्टिक आहार के संबंध में जानकारी दी.

जागरूकता की कमी दूर करने का प्रयास :

आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया इस प्रयास के पीछे उद्देश्य यह है कि जागरूकता की कमी और अभाव में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी नहीं आए. प्रेग्नेंसी के दौरान ध्यान नहीं देने पर महिला कमजोर हो जाती हैं, जिसके कारण पैदा होने वाला बच्चा कमजोर होता है एवं आसानी से कुपोषण का शिकार हो जाता है. ऐसी स्थिति न पैदा हो इसके लिए गर्भवती महिला को बेहतर देखभाल की जानाकरी दी गयी तथा पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गयी.

गर्भवती महिलाओं को आयरन की 180 गोलियां लेना जरूरी :

जिन महिलाओं में खून की कमी हो, उन प्रेग्नेंट महिलाओं को बच्चे को जन्म देने से पहले 180 आयरन की गोलियां लेनी चाहिए और 180 ही जन्म देने के बाद.

छः माह तक बच्चों पिलाएं मां का दूध, बढ़ेगी प्रतिरोधक क्षमता :

गोदभराई के साथ महिलाओं को जानकारी दी गई कि प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है. इसलिए जब भी मां बन रहीं हो शिशु के नियमित स्तनपान के फायदों बारे में जानकारी जरूर लें. 0 से छः माह के बच्चे को सिर्फ स्तनपान और छः माह के बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार देना चाहिए. छः माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है. नौ से 24 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ तीन बार अर्ध ठोस पौष्टिक आहार देना चाहिए. बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. (सेंट्रल डेस्क).

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