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बेगूसराय : काला दिवस बनकर आया शनिवार, विधायक विहीन हो गया बछवाड़ा, हजारों की भीड़ ने दी दिवंगत एमएलए रामदेव राय को अंतिम विदाई

बेगूसराय में शनिवार का दिन बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की आम जनता के लिए काला दिवस बनकर सामने आया. काला दिवस इस मायने में कहा जाएगा कि आज बछवाड़ा के लोग विधायक विहीन हो गये. बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेस नेता पुर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक रामदेव राय का निधन हो गया. वहीं आज पूरे मान-सम्मान के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमे हज़ारों की भीड़ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

बता दें कि शनिवार को विधायक रामदेव राय के निधन की पुष्टी उनके पुत्र शिवप्रकाश उर्फ गरीब दास ने की. वे पिछले दो माह से काफी बीमार चल रहे थे. इधर लगभग दो हफ्ते पुर्व उनकी स्थिति बिगड़ने लगी. तत्पश्चात परिजनों ने उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया. जहां उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होते देखे पारस हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया था. मगर शायद उनकी किस्मत में बाकी जिंदगी जीना नहीं लिखा था. शनिवार की अहले सुबह लगभग तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके मौत की खबर कानों-कान क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फ़ैल गई. आमजनता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता व सरकारी कर्मी तक खबर सुनकर एक पल के लिए तो हतप्रभ रह जाते, और फिर भाववृहल होकर उनके साथ बिते पलों को याद करने में डुब जाते हैं.

कार्य शैली के कायल थे विरोधी व समर्थक :

उनके आम कार्य शैली के विरोधी खेमे के लोग भी कायल हैं. सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ता हीं नहीं विभिन्न सभी दलों के लोग उन्हें गार्जियन के नजरिए से देखते थे. आम आवाम उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि उनका पैतृक गांव चक्का सहलोरी गांव हो अथवा पटना का सरकारी फ्लैट जानें वाले लोगों के लिए एक एक कर सभी के लिए समय निकाल कर एक बार जरूर रूबरू होते थे. मिलने गए फरियादी हो या कार्यकर्त्ता सभी को भोजन के लिए जरूर आग्रह किया करते. कम-से-कम बिना चाय पीए वापस नहीं होने देते, यह उनकी आदतों में शुमार था.

बेबाक लीडर के रूप में जाने जाते थे पुर्व मंत्री :

फरियादियों से मिलने का समय हो अथवा सरकारी छोटे कर्मी से लेकर बड़े-बड़े आइएएस व आइपीएस सबों के साथ वे बड़े हीं बेबाकी से पेस आते थे. अपने इन्हीं बेबाक प्रवृत्ति के कारण गाहे-बगाहे कुछ लोगों को क्षणिक तकलीफ का शिकार भी हो जाते थे. मगर, फिर भी उनके कार्य परिणाम के बाद, उन तकलीफ हुए पलों को याद कर पछतावा करने को विवश होते. बेबाकी से पेश आने के क्रम में कभी-कभी अपने लोगों से भी कहा सुनी तक हो जाती थी. अभी हाल हीं बछवाड़ा प्रखंड कार्यालय के बाहर अपने एक समर्थक से काफी गम्भीर बहस करते हुए देखे थे. मगर ठीक उसी दिन उक्त घटना के बाद उपरोक्त समर्थक के साथ विचारों का आदान-प्रदान करते देखे गए थे.

योजना परियोजना को लेकर अत्यंत संवेदनशील थे :

मुख्यालय से लेकर सूदर देहात के लोग सड़क, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, समेत अन्य कार्यों का प्रस्ताव लेकर आने वाले लोगों की बातें बड़ी गम्भीरता से सुनते थे. साथ हीं उन प्रस्ताव को अपनी डायरी में पंजीकृत कर उक्त कार्य के निगेटिव एवं पाॅजिटिव पहलुओं पर विस्तार से जानकारी हासिल करने का प्रयास भी किया करते थे. तत्पश्चात कार्य को लेकर सदन से लेकर विभाग के अधिकारियों तक भाग दौड़ शुरू कर दिया करते थे और तब तक भाग-दौड़ जारी रखते जब-तक कार्य पटल पर न आ जाए.

मरते दम तक जनसरोकार से जुड़े रहे विधायक :

लोगों प्रस्ताव के कड़ी में रानी गांव के पुर्व मुखिया अशोक राय के द्वारा उत्क्रमित मध्य विद्यालय रानी के चाहार दिवारी का प्रस्ताव रखा गया था. जिसकी अनुशंसा विधायक द्वारा की गई थी. इसी बीच वह गंभीर रूप से बिमार हो गये. उधर इस चहारदीवारी निर्माण की विभागीय स्वीकृति आदेश भी मिल गई. विभागीय आदेश के बाद गांव के लोगों में काफी हर्ष का माहौल था. ग्रामीणों नें उक्त कार्य के शिलान्यास किए जाने के लिए खुब आग्रह के बाद मरने के ठीक बारह घंटे पहले उक्त योजना अस्पताल के बेड पर से हीं चहारदीवारी निर्माण का वर्चुअल शिलान्यास किया है.

अपनी स्कीम पर खुद हीं जांच कराया था, घोटालेबाज इंजिनियर को भेजा जेल :

योजनाओं के क्रियान्यवयन में गुणवत्ता एवं घपले घोटाले को लेकर काफी सजग रहने वाले में से एक थे. वर्ष 2006 में मिथिला प्रसिद्ध झमटिया गंगा घाट पर सीढ़ी निर्माण को लेकर तत्कालीन विधायक रहे रामदेव राय व सांसद सुरजभान सिंह के संयुक्त कोष से बनने वाले योजना पर ग्रामीणों द्वारा गुणवत्ता की शिकायत की जा रही थी. आम लोगों की शिकायतों से बौखलाकर उन्होंने विधानसभा में बड़ी मजबूती से घपले घोटाले की बात को रखा. तत्पश्चात उन्होंने तत्कालीन मुख्य सचिव अनूप मुखर्जी में मिलकर उन्होंने सचिव स्तरीय जांच कमिटी का गठन करवाकर हीं दम लिया. तय समय-सीमा के भीतर उक्त जांच टीम बछवाड़ा पहुंच कर ऐतिहासिक झमटिया घाट का सीढ़ी निर्माण व प्रखंड मुख्यालय से अयोध्या टोल जाने वाली सड़क निर्माण कार्य की जांच की. जहां क्रियान्वित हो रहे स्कीम के अभियंता चन्द्रभुषण यादव को दोषी करार दिया गया और तत्क्षण हीं उक्त अभियंता को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पार्टी के बदौलत विधायक नहीं थे, बल्की रामदेव राय के बदौलत चल रही थी कांग्रेस :

हिन्दी फ़िल्म तिरंगा के मसहूर डायलॉग “जमाना हम से है ज़माने से हम नहीं” को चरितार्थ कर दिखाया था उन्होंने. जब 2005 में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो खुद के भरोसे ही मैदान-ए-जंग में निर्दलीय हीं कुद पड़े. आम लोगों का भरपूर समर्थन उन्हें प्राप्त हुआ. नतीजतन, उन्हें विजयश्री की माला हाथ लगी. मगर बिहार के तमाम सीटों का गणित कुछ इस तरह गड़बड़ाया की सरकार बनाने की चाभी केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के हाथ में चली गई. पर लोजपा ने किसी को अपना समर्थन नहीं दिया. जिसके कारण पुनः चुनाव कराने की नौबत आ गई और तब कांग्रेस पार्टी के टिकट पर छः महीने के भीतर ही पुनः विजयी हुए.

राजनीतिक छितिज पर कांग्रेस के संकट काल में हराया था पुर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को :

वर्ष 1980 के दशक में कांग्रेस संकट काल से गुजर रहा था. समाजवाद का हावी होने के कारण कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने थे. देश स्तर पर समाजवादी आन्दोलन का अच्छा खासा प्रभाव था. ऐसी विषम परिस्थिति में पार्टी आलाकमान ने बेगूसराय से उठाकर समस्तीपुर से कर्पूरी ठाकुर के विरूद्ध कांग्रेस का सियासी घोड़ा रामदेव राय को बनाया था. जहां पुर्व मुख्यमंत्री के घर में घुसकर जबरदस्त चमत्कार किया, और रामदेव राय को विजय श्री का माला हाथ लगा. पार्टी आलाकमान ने रातों-रात इन्हे दिल्ली बुलाया. जहां खुले मंच से उन्हें सम्मानित किया गया. (पिंकल कुमार की रिपोर्ट).

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