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जमशेदपुर : झारखण्ड मानभूम लोक शिल्पी संघ द्वारा दो दिवसीय जिला सम्मेलन आयोजित

अभिजीत अधर्जी

https://youtu.be/OtD3a98D8Ok

जमशेदपुर में गुरुवार को झारखंड मानभूम लोक शिल्पी संघ के द्वारा दो दिवसीय पूर्वी सिंहभूम जिला सम्मेलन का आयोजन जमशेदपुर के पटमदा स्थित कुड़मी भवन मैदान नौवाडीह में हुआ. जिसमे मानभूम के अलावा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा प्रान्त से लोक शिल्पी कलाकार शामिल हुए. वहीं सम्मेलन में मानभूम कला संस्कृति को बचाने में लगे कलाकारों को उड़ीसा और बंगाल की तर्ज पर सम्मानजनक प्रोत्साहन देंने की मांग उठी.

बता दें कि जमशेदपुर से 40 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला का पटमदा के नावाडीह गाँव में मानभूम कला संस्कृति को बचाने की कवायद में ग्रामीण लगे हैं. कहा जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान मांदर का छाप मिला था उससे यह प्रतीत होता है कि झारखंडी झूमर गीत लगभग साढ़े आठ हजार साल पुरानी कला है, लेकिन अब तक की झारखंड सरकार द्वारा इन कलाकारों की अनदेखी की गई है. इस सम्मेलन मे इन कलाकारों को उचित मानदेय व प्रमाण पत्र दिलाने पर विचार करने की मांग उठी और इसका नेतृत्व जुगसलाई से आजसू विधायक रामचंद्र सहीस कर रहे थे. इस दौरान इन कलाकारों की बातों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वाशन आजसू विधायक ने दिया. उन्होंने कहा कि मानभूम कला-संस्कृति हजारो साल पुरानी है ऐसे में कलाकारों व शिल्पियों को सम्मान मिलना ही चाहिए. पिछले कई वर्षों से इस कला से जुड़े कलाकारों के सम्मान के लिए आंदोलन किया जा रहा है लेकिन आज तक इस ओर पहल नही हो सकी. वैसे इस दो दिवसीय सम्मेलन में झारखंड, बंगाल, उड़ीसा और आस पास के इलाको से लगभग 500 से अधिक मानभूम शैली से जुड़े नृत्य-लोक गीत के ख्याति प्राप्त कलाकारों ने शिरकत की है. जिनमे तीन अंतरष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार भी शामिल है.

ये सभी ऐसे कलाकार है जो मानभूम शैली से जुड़े छऊ नृत्य, झूमर, दसाई, भुआँग, पाता नाच,काठी नाच,करम नाच और नाटुआ नृत्य के साथ साथ कई अन्य नृत्य में वर्षो से अपना योगदान देते आ रहे है. ऐसे में अपनी कला संस्कृति को बचाने में लगे इन कलाकारों को सरकार से उम्मीदें भी है, जो अब तक इन्हें नही मिलता.

झारखंड मानभूम लोक शिल्पी संघ के इस सम्मेलन में जहां सभी कलाकारों को लोक शिल्पी संघ द्वारा सम्मानित किया गया. वहीं सभी ने मानभूम कला-संस्कृति को अक्षुण बनाने की राह में आ रही बाधाओं को लेकर समस्याओं को भी रखा. इस दौरान संघ द्वारा झारखंड सरकार तक अपनी मांगों को रखने में मुख्य रूप से प्रत्येक झारखंडी लोक शिल्पी कलाकारों को सरकारी परिचय पत्र देने, मासिक भत्ता देने, 60 वर्ष से अधिक उम्र के शिल्पियों को पेंशन देने, पेशादार लोक संगीत एवम नृत्य दलों को वार्षिक अनुदान देने समेत कुल सात मांगे शामिल रखी गई. स्थानीय विधायक सह मुख्य संरक्षक, झारखंड मानभूम लोक शिल्पी संघ, पूर्वी सिंहभूम.

बहरहाल, हजारों वर्ष पुरानी मानभूम कला संस्कृति की विलुप्त होती कला और कलाकारों को बचाने के लिए लोक शिल्पी संघ द्वारा की जा रही पहल को सार्थक पहल कहा जा सकता है और यह प्रयास कितनी सार्थक सिद्ध होती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा. लिहाजा, राज्य सरकार की ओर से ऐसे लोक कलाओं के अस्तित्व को बचाने के लिए पहल करने की जरूरत है ताकि इससे जुड़े कलाकार और हमारी कला संस्कृति अपनी पहचान को कायम रख सके. अन्यथा आने वाले समय मे झारखंड की पहचान बनी मानभूम कला-संस्कृति इतिहास के पन्नों में सिमट कर कहीं न जाए.

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