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गढ़वा : माओवादियों की चंगुल से बंधक बने दो बच्चे भागे, पुलिस ने ली दोनो के भरण-पोषण की जिम्मेवारी

संजय पांडेय

गढ़वा जिले के जनजातीय समुदाय करवा जाति से आने वाले दो नाबालिग बच्चों को विगत वर्ष माओवादियों के एक दल बूढ़ा गांव के झालू डेरा टोला से उनके अभिभावक को मारपीट कर जबरदस्ती लेकर चले गए थे.

बता दें कि दोनो बच्चों को माओवादी अपने दस्ता में चंडी पहाड़ बूढ़ा पहाड़ पर बंधक बनाकर रखे थे. इनमें से एक 12 वर्ष का बालक तथा दूसरा करीब 14-15 वर्ष की बालिका है. यह दोनों माओवादियों के चंगुल से किस तरह भागे, जिसके बारे में गढ़वा पुलिस प्रशासन को सूचना प्राप्त हुई. सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस प्रशासन ने दोनों नाबालिग बच्चों को सुरक्षित निकाला तथा अपने संरक्षण में लिया. दोनों बच्चों की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति काफी भयावह थी तथा उनसे पूछताछ में पता चला कि दोनों नाबालिक जनजाति बच्चों को माओवादियों का दल बंधुआ मजदूर की तरह काम लेते थे. इनसे खाना बनवाना, पानी डलवाना, शीर्ष माओवादियों की सेवा करवाना तथा माओवादी दस्ता के चलायमान होने की स्थिति में सामान की ढुलाई करने का काम लिया जाता था. इनको अच्छा भोजन एवं वस्त्र नहीं दिया जाता था. काम नहीं करने की स्थिति में उनके साथ मारपीट भी की जाती थी. जनजाति वर्ग से आने वाले नाबालिक बच्चों के साथ माओवादियों के द्वारा किया गया.

बुधवार को प्रेसवार्ता कर उक्त जानकारी देते हुए गढ़वा एसपी ने बताया कि यह व्यवहार उनके सही चेहरा को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि गढ़वा पुलिस प्रशासन इस प्रकरण में काफी संवेदनशीलता से बच्चों के साथ पेश आई है. सर्वप्रथम दोनों बच्चे जो काफी हद तक भयाक्रांत मानसिक एवं शारीरिक स्थिति में थे. उन्हें सामान्य बनाने का सार्थक प्रयास किया गया. बच्चों को उसके बेहतर भविष्य के लिए गढ़वा पुलिस प्रशासन द्वारा शिक्षित करने हेतु दोनों का नामांकन कराया गया है और उनके भरण-पोषण में गढ़वा पुलिस प्रशासन द्वारा यथासंभव सहायता की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह बच्चे अभी भी मानसिक रूप से भयभीत हैं उन्हें सामान्य बनाए रखने हेतु उनके अभिभावकों के पास पुलिस प्रशासन की निगरानी में दिया गया है.

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