मोतिहारी : बिहार विधान सभा में गूंजा केसरनाथ महादेव मंदिर का मुद्दा
मोतिहारी जिले के केसरिया स्थित उत्तर बिहार के सुप्रसिद्ध केसरनाथ महादेव मंदिर के सर्वांगीण विकास का मुद्दा बुधवार को बिहार विधानसभा में छाया रहा. केसरिया की विधायक शालिनी मिश्रा ने शून्यकाल के दौरान सदन का ध्यान केसरिया स्थित सुप्रसिद्ध केसरनाथ महादेव मंदिर की ओर आकृष्ट किया.
बता दें कि विधायक ने अपने संबोधन के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को बताया कि केसरिया का केसरनाथ महादेव मंदिर उत्तर बिहार का प्रमुख धार्मिक स्थल है. यहां सावन के महिने में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. वैसे तो यहां सालों भर लोगों का तांता लगा रहता है. विधायक शालिनी मिश्रा ने सदन में कहा कि केसरनाथ महादेव मंदिर का विकास अवरुद्ध है. एसएच 74 से मंदिर तक पहुंचने के लिए सही हालत में सड़क भी नहीं है. उन्होंने कहा कि पर्यटकीय दृष्टिकोण से इस मंदिर का समुचित विकास अबतक नहीं हो सका है. उन्होंने सदन में जोर देकर कहा कि उत्तर बिहार के सुप्रसिद्ध केसरनाथ महादेव मंदिर को सरकार अगर पूर्णतया विकसित कर दे तो यहां स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों से भी भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन शुरू हो जाएगा.
गौरतलब है कि केसरनाथ महादेव का मंदिर पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में स्थित है. जानकर बतलाते हैं कि सन् 1970 के दशक में शाखा नहर की खुदाई के दौरान केसरनाथ महादेव की उत्पत्ति हुई थी. उसी समय से लोग केसरनाथ महादेव के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, बाबा केसरनाथ के प्रकट होने के बाद गंडक विभाग ने नहर को मोड़ दिया. उसके बाद भूस्वामी केसरिया गढ़ निवासी ज्ञानेश्वर प्रताप नारायण सिंह के परिवार की ओर से पूर्व में नहर के निर्माण को लेकर अधिग्रहित भूमि को वापस करने के लिए पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर किया गया था. दायर याचिका पर फैसला देते हुए पटना उच्च न्यायालय ने नहर का निर्माण नहीं होने की स्थिति में पूर्व की अधिग्रहित भूमि को भूस्वामी को वापस करने का फैसला दिया. उस समय से केसरनाथ महादेव मंदिर का स्वामित्व केसरिया के गढ़ परिवार के पास है. हालांकि गढ़ परिवार की ओर से केसरनाथ महादेव मंदिर का स्थानीय स्तर पर विकास कराया जा रहा है. केसरिया के केसरनाथ महादेव मंदिर में सावन के महिने में पड़ोसी देश नेपाल सहित अपने देश के कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंच कर जलाभिषेक करते हैं और यहां एक विशाल मेला भी लगता है. (मधुरेश प्रियदर्शी की रिपोर्ट).
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