दुमका : संथाल हूल दिवस पर स्वास्थ्य जागरूकता यात्रा का आयोजन
दुमका में संथाल हूल दिवस के पावन अवसर पर दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर आखड़ा और सिदो-कान्हु चाँद-भैरव फूलो-झानो आखड़ा के संयुक्त तत्वधान में दुमका प्रखंड के दुन्दिया गांव से शहीदग्राम भोगनाडीह स्वास्थ्य जागरूकता यात्रा निकाला गया. इस हूल यात्रा में कई गांवो के महिला-पुरुष ग्रामीणों ने भाग लिया. इस स्वास्थ्य जागरूकता हूल यात्रा में खसरा और रुबैला टीकाकरण अभियान(एमआर टीकाकरण अभियान) के बारे में ग्रामीणों को चौक-चौराहा में शिविर लगाकर जागरूक किया गया.
संताल हूल के पावन अवसर पर शिविर में स्वतंत्रा सेनानी सिदो-कान्हू मुर्मू के वीर गीत भी गाया गया. ग्रामीणों को खसरा और रुबैला रोग से बचने के लिय खसरा और रुबैला टीकाकरण अभियान के महत्व को बताया गया. खसरा एक जानलेवा बीमारी है और बच्चों में अपंगता और मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है,खसरा बहुत संक्रामक रोग है और यह एक प्रभावित/संक्रमक व्यक्ति द्वारा खासने और छीकने से फैलता है. खसरा बच्चो को निमोनिया, दस्त और दिमागी संक्रमण जैसी जीवन के लिय घातक जटिलताओ के प्रति संवेदनशील बना सकता है.खसरा के आम लक्षण तेज बुखार के साथ त्वाचा पर दिखाई पड़ने वाले लाल चकते, खांसी, बहती नाक और आंख लाल होना है.
रूबैला स्त्री को गर्भावस्था के आरंभ में रूबैला संक्रमण होता है तो जन्मजात रूबैला सिंड्रोम विकसित हो जाता है,जो भ्रूण और नवजात शिशुओं के लिय गंभीर और घातक साबित हो सकता है. प्रारभिक गर्भावस्था के दौरान रूबैला से संक्रमिक माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालिन जन्मजात विसंगतियो से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है जिसमे आंखे (ग्लूकोमा, मोतियाबिंद), कान (बहरापन), मस्तिष्क (माइक्रोसिफेली, मानसिक मदता) प्रभावित होते है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. रूबैला रोग से गर्भवती स्त्री में गर्भपात, अकाल प्रसव और मृत प्रसव की संभावना बढ़ जाती है. खसरा और रूबैला रोग से बचने के लिय सभी 9 महीने से 15 वर्ष के बच्चो को जरुर टीकाकरण करवाना चाहिये. टीकाकरण ही इन रोगों से बचाव है. अंत में सभी ग्रामीण शहीद ग्राम भोगनाडीह में सिदो-कान्हू मुर्मू के प्रतिमा में फूल-माला चढ़ाकर उनके बताये मार्ग में चलने का शपथ लियें.
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