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पंचफोरन : है तो बंगाली रसोई का लेकिन बिहारियों ने इसे पूरे दिल से अपनाया हैं… जानिए पंचफोरन के मसालों के बारे में

श्वेता

पंचफोरन जिसमें थाली ने एक कलाकृति का रूप दिया है. हर सब्जी को एक आकार दिया जाना चाहिए जिससे वह पंचफौरो के गुणों को आत्मसात कर सके. पंचफोरन, पांच मसाले का मिश्रण, बंगाली व्यंजनों की नींव है यह सरसों, सौंफ़, मेथी, जीरा और निजेला बीज के बराबर हिस्से से बना है. गर्म सरसों के तेल में फेंक दिया जाने वाला एक चुटकी एक सुगंध का उत्पादन करती है जो एक बार तेज और नाजुक होती है. लौकी, कद्दू का मिश्रण, नेनुआ, आलू और कुछ अन्य मिश्रित सब्जियों के लिए एक प्यार विकसित किया है इस मशालें ने,यह हमारे  भोजन की नियमित विशेषता है. मसालों की गंध की सूजन, पंचफोरन की जोरदार और सरसों की तीक्ष्णता से कोई नही बच सकता.

 

सरसों
साबुत सरसों भारतीय पाक प्रणाली में स्वाद एवं सुगंधदायक के रूप में प्रयुक्त होती है जबकि पीसी सरसों बंगला फिशकरियों को स्वाद व सुगंध तथा गाढापन केलिए प्रयुक्त होती है. सरसों के आटे में स्वाद, सुगंध तथा रंग प्रदान करने के अलावा परिरक्षक और प्रति ऑक्सीकारक गुणविशेषताएँ भी है.
सौंफ
सौंफ का फल, वाणिज्यिक रूप से सौंफ ही कहा जाता है, का प्रयोग ज्यादातर करी, ब्रेड, सूप, बेकड सामान, सूखे अंजीरों खाद्यों, क्रीम, चीज, अचार, अंडे से बने पकवान मादक व गैर मादक पेयों में सुगन्ध लाने के लिए अत्यावश्यक है.
मेथी
मेथी का प्रयोग खाद्य योगज और दवा , दोनों रूपों में किया जाता है. इसकी कोमल फलिया, पत्ते और प्ररोह पकी सब्जी के रूप में खाए जाते हैं. मसाले के रूप में, यह खाद्य सामग्रियों को सुवासित करती है. इसकी सूखी पत्तियों के चूर्ण का भी प्रयोग कई प्रकार के खाद्यों को सजाने और सुवासित करने के लिए किया जाता है. मेथी करी पाउडरों का एक प्रमुख घटक है. इसके बीजों का प्रयोग उदरशूलवायु, पेचिश, अतिसार, बदहजमी, दीर्घकालिक खाँसी और जिगर प्लीहा की वृध्दि, सुखंडी , गऊर और मधुमेह में किया जाता है.
जीरा
जीरा बीज की सुखद गन्ध और कटु रुचि होती है ? इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है और करी पाउडरों, केक और पनीर के सीसनिंग्स का यह एक घटक है. उत्तेजक, वातहर, क्षुधावर्धक और संकोचक के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है. इत्र निर्माण और पेयों तथा कोर्डियलों को सुवासित करने के लिए जीरा बीज तेल का प्रयोग किया जाता है.
मंगरैला/कलौंजी

मंगरैला को कलौंजी भी कहते हैं. मंगरैला एक बेहद उपयोगी मसाला है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है. मंगरैला की सब्जी भी बनाई जाती है.  बिहारी लिट्टी में भी मंगरैला का प्रयोग किया जाता है.  आकार में यह तिल के बीज की तरह होते हैं. मंगरैला पौषक तत्वों से भरा होता है इसमें वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होते हैं. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मैग्नीशियम व जिंक आदि खनिज तत्व पाए जाते हैं. मंगरैला में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बिमारी से बचाती है.

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