चाईबासा : कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में टेंडर कराने में शिक्षा विभाग हुआ फेल, सप्लायरों की मनमाने दामों पर हो रही सामग्री की सप्लाई
चाईबासा में जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में टेंडर कराने में शिक्षा विभाग अब तक सफल नहीं हो सका है. जिला में कुल 18 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में से मात्र छः विद्यालयों में ही टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण हो सकी है. वहीं बाकी बचे विद्यालयों में आधे अधूरे ही टेंडर हुए हैं.
ऐसे में शिक्षा विभाग ने चयनित सप्लायरों के साथ बैठक कर उनकी सहमति पर जिन विद्यालयों में टेंडर प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी उन्हें टैग किया गया. सप्लायरों की सहमति के बाद शिक्षा विभाग ने उन सप्लायरों को विभिन्न कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में टैग करने को लेकर पत्र जारी किया. साथ ही टैगिंग प्रक्रिया पूरी तरह से पेन ए पेपर करने का निर्देष जारी किया ताकि कोई गड़बड़ी न हो. टैग किये गये सफ्लायरों को टैग किये गये विद्यालयों के साथ बकायदा एकरारनामा करते हुए सिक्यिुरिटी की राशी जमा करने का भी निर्देष दिया गया. लेकिन, मजेदार बात यह है कि टैग करने का आदेष निकलने के लगभग दो माह बीत जाने के बावजूद अधिकांश सफ्लायरों ने इस प्रक्रिया को पूर्ण किये बगैर ही पुरानी दर पर विद्यालयों में सप्लाई का कार्य कर रहे हैं.
सप्लायर न तो टैग किये गये विद्यालयों में एकरारनामा कर रहे हैं और ना ही सिक्यिुरिटी राशी जमा कर रहे हैं. ऐसे में उन विद्यालयों में कौन सप्लाई कर रहा है, किस दर पर सफ्लाई हो रही है, यह एक जांच का विषय है. इधर खबर यह भी है कि इस कार्य में सप्लायरों का साथ विद्यालय के ही कर्मी दे रहे हैं में इसके पीछे की अदृष्यशक्ति क्या है यह समझ से परे है. खबर यह भी है कि विभाग ने विद्यालयों को निर्देष दिया था कि जब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक बाजार मूल्य पर सामानों की खरीद करें. संभवतः इसी आदेश का हवाला देते हुए विद्यालय के कर्मी सप्लायरों का साथ दे रहे हैं.
बता दें कि पश्चिमी सिंहभूम जिला का कस्तूरबा आवासीय विद्यालय अपने कारनामों से हमेशा चर्चा में रहा है. पिछले टेंडर प्रक्रिया में सारी हदें पार हो गयी थी. बाजार मूल्य से कई गुना अधिक मूल्य पर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी थी. इस मामले में निवर्तमान जिला शिक्षा अधीक्षक निलंबित भी हुई थी, लेकिन इसके बाद भी गड़बड़ी का सिलसिला अब तक थमा नहीं है. वित्तिय वर्ष 2023-24 में पुरानी गड़बड़ी न हो इसके लिए टेंडर प्रक्रिया में भी बदलाव लाया गया, इसके बावजूद शिक्षा विभाग जिले के सभी 18 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कराने में सफल नहीं हो सकी. वहीं अब वित्तिय वर्ष समाप्ति पर है और अब तक बिना प्रक्रिया पूर्ण किये ही सप्लाई का कार्य चल रहा है और कथित तौर पर सफ्लायर अपनी मनमानी कर रहे हैं. जबकि जिले के उपायुक्त द्वारा हर माह जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिले के सभी कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के वार्डनों के साथ बैठक कर जानकारी लेने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उपायुक्त के इस आदेश को भी नजर अंदाज कर डीईओ नें बैठक बुलानी बंद कर दी इसलिए कि बैठक होने पर वार्डनों के द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट पर हो रहें कार्य में अनियमितता का खुलासा हो जायेगा. वहीं यह भी चर्चा है कि इन दिनों शिक्षा विभाग में सफ्लाई को लेकर चाहे डेस्क बेंच हो या ड्रेस हो या फिर और भी मामला में कार्य को लेकर कोई भाई भतिजा को सप्लायर बना कर राशी की निकाशी कर रहें तो कोई पदाधिकारी को अपना जीजा-साले का रिश्ता बताकर स्कूलों में सप्लाई का काम कर रहें है. यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि कौन है जयसवाल जो इन दिनों शिक्षा विभाग में चर्चित है. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट).
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