Abhi Bharat

पूर्णिया : महिला कांस्टेबल से दरोगा बनी शबाना आज़मी कमजोर वर्गों के लिए प्रेरणास्रोत

पूर्णिया || शबाना आज़मी जो कभी बिहार पुलिस में एक महिला कांस्टेबल थीं आज पूर्णिया जिले के फणीश्वरनाथ रेणु चौकी (TOP) की थाना प्रभारी के रूप में न केवल कानून व्यवस्था को संभाल रही हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं.

बता दें कि शबाना आजमी की जीवन यात्रा संघर्षों से भरी रही है. लेकिन, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार मेहनत कर 2019 बैच में दरोगा पद पर चयनित हुईं. शबाना आज़मी की ड्यूटी निभाने की शैली उन्हें बाकी अधिकारियों से अलग बनाती है. वे केवल कानून की रखवाली तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज के लिए सकारात्मक बदलाव की वाहक बन चुकी हैं. वे गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए कपड़े, किताबें और स्टेशनरी उपलब्ध कराती हैं. कई बार उन्होंने ऐसे बच्चों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी भी खुद उठाई है, जिनके पास स्कूल जाने के लिए साधन नहीं थे. उनका मानना है कि अगर हर अधिकारी अपनी ड्यूटी से इतर कुछ सामाजिक दायित्व भी निभाए, तो समाज में बहुत बड़े स्तर पर बदलाव आ सकता है. इसी सोच के साथ वे समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैंप, स्वास्थ्य जांच शिविर, महिला सुरक्षा जागरूकता अभियान और शैक्षणिक मार्गदर्शन शिविर आयोजित करती रहती हैं.

शबाना आज़मी विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. वे स्कूल-कॉलेजों में जाकर छात्राओं को आत्मरक्षा, साइबर अपराध से बचाव और शिक्षा की महत्ता के बारे में जागरूक करती हैं. इसके साथ-साथ वे नशा मुक्ति अभियान और महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं. उनकी कहानी यह दर्शाती है कि एक साधारण परिवार से आने वाली महिला, अगर ठान ले तो वह हर चुनौती को पार कर सकती है. कांस्टेबल की नौकरी करते हुए पढ़ाई करना, सामाजिक दबाव का सामना करना और उसके बाद दरोगा बनकर समाज सेवा की मिसाल पेश करना, यह आसान नहीं था. लेकिन, शबाना आज़मी ने यह कर दिखाया. आज वे न सिर्फ पूर्णिया पुलिस की कुशल अधिकारी हैं, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व बन चुकी हैं. वे युवा पीढ़ी को यह संदेश देती हैं कि कठिनाइयां आएंगी, लेकिन अगर हौसला मजबूत हो और नीयत साफ हो तो सफलता ज़रूर मिलेगी. (ब्यूरो रिपोर्ट).

You might also like
Leave A Reply