नवादा : निजीकरण के विरोध में काला बिल्ला लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं पंपचालक
नवादा में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अंतर्गत जलापूर्ति केंद्रों को पांच साल ठेकेदारों को सौपे जाने के जारी पत्र के विरोध मे बिहार राज्य सहित नवादा जिला के सभी दैनिक वेतन भोगी पंपचालकों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए निजीकरण का विरोध कर काला बिल्ला लगा विरोध जताया और कहा कि जब तक सरकार निजीकरण के फैसले को वापस नहीं लेती तब तक अनिश्चितकालीन काला बिल्ला लगाकर काम करते रहंगे.
बता दें कि विभाग द्वारा जारी पत्र के आलोक में स्थानीय स्तर पर जुटे पंप चालकों ने विरोध जारी कर दिया है. बिहार राज्य पंपचालक संघ के प्रदेश महामंत्री राजकमल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पंपचालकों की सेवा रिक्ति के विरूद्ध विगत कई वर्षों से विभिन्न जलापूर्ति केंद्रों पर लिया जा रहा है, जिन्हें दैनिक मजदूरी के रूप में भुगतान किया जाता है. सभी पंपचालक प्रशिक्षित भी है क्योंकि वह कई सालों से पंप संचालन का कार्य कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी जी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का यह संदेश है किसी को भी नौकरी से नहीं हटाना है, वहीं उनके उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों द्वारा अपने चहेते ठेकेदारो को लाभ पहुचाने व पम्पचालकों के शोषण के उद्देश्य से उनके इस संदेश को ठेंगा दिखाने का काम किया गया है. ठेकेदारों के हाथों पंप संचालन का कार्य सौपे जाने से ठेकेदारों के द्वारा पंप चालकों का शोषण किया जाएगा पंप चालकों को कम मजदूरी पर काम करने को विवश किया जाएगा क्योंकि ठेकेदार को जब तक लाभ नहीं होगा तब इस काम को क्यों करेंगे कहीं न कहीं ठेकेदार संपन्न लोग हैं. वहीं पंपचालक गरीब वह लाचार हैं, इससे यह प्रमाणित होता है कि सरकार गरीब विरोधी सरकार है. क्योंकि ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देना कहीं ना कहीं से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का काम है ऐसे में गरीब गरीब ही रहेंगे और अमीर अमीर होते जाएंगे.
उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई इसी व्यवस्था के खिलाफ है काम की प्रकृति और इतने दिनों से पंप संचालन का कार्य कर रहे पंप चालको की सेवा नियमित नहीं करना गंभीर सवाल खड़ा करता है. पिछले आंदोलन में सरकार के अधिकारियों द्वारा या मौखिक आश्वासन दिया गया था कि पंप संचालन का कार्य को ठेकेदारों के हाथों नहीं सौंपा जाएगा, इसके बावजूद इस तरह का पत्र जारी कर पंपचालकों के साथ अन्याय करने का काम किया है. पंपचालकों को कभी 12 माह कभी 15 माह में पैसे का भुगतान किया जाता है, फिर भी सभी कर्मी इमानदारीपूर्वक जल आपूर्ति करते आ रहे हैं ताकि आम नागरिकों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो. जैसे ही स्थिति सामान्य होगा पंपचालक अपने आंदोलन को और उग्र करेंगे. कयोकि एक तरफ सरकार कोरोना महामारी में ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का नाम दे रही हैं वहीं उनके अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन के बीच में ही सरकार के द्वारा इस तरह का पत्र जारी कर पंपचालकों को के जीवन के चेन को ही तोड़ने का काम किया गया हैं. (सन्नी भगत की रिपोर्ट).
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