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नालंदा : तीन जिंदगी तबाह ना हो इसलिए कोर्ट ने नाबालिक पिता को किया बरी, महज तीन दिनों में सुनाया फैसला

नालंदा से बड़ी खबर है, जहां बिहारशरीफ में किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. नाबालिक लड़की को भगा कर शादी करने और शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी किशोर के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य थे, बावजूद इसके उन्होंने पिता को दोष मुक्त करते हुए नाबालिक पति-पत्नी को साथ रहने का फैसला सुनाया ताकि उनके छः माह के नवजात शिशु का पालन पोषण प्रभावित ना हो. अपने फैसले में प्रधान दंडाधिकारी ने कहा कि सजा देने से तीन नाबालिग जिंदगियां प्रभावित होगी.

क्या था मामला

मामला हिलसा थाना इलाके के एक गांव का है, जहां सरस्वती पूजा में शामिल होने गयी किशोरी अपने प्रेमी के साथ फरार हो गयी थी. इसके बाद किशोरी के पिता ने 11 फरवरी 2019 को गांव के ही एक किशोर पर अपहरण का मामला हिलसा थाने में दर्ज कराया था. गांव से भागकर दोनों दिल्ली चल गए थे. जहां आरोपी किशोर अपनी मौसी के यहां रह रहा था. इसी बीच उसे पता चला कि किशोरी के पिता ने थाने में मामला दर्ज कराया है. इसके बाद वह गांव लौट आया. गांव लौटने की सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपी किशोर को न्यायालय के सुपुर्द किया, जहां से उसे सेफ्टी होम शेखपुरा भेज दिया गया. अभी वह सेफ्टी होम में ही रह रहा है. पास्को कोर्ट से यह मामला 19 मार्च 21 को किशोर न्याय परिषद पहुंचा. जहां तीन जिंदगियों को देखते हुए महज तीन दिनों में ही जज मानवेंद्र मिश्र ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जबकि लड़की को भगाकर ले जाने और शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में किशोर को सजा हो सकती थी. किशोर न्याय परिषद के सदस्य अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि स्पीडी ट्रायल का यह सबसे कम दिनों में सुनाया गया फैसला है, अब तक भारत के किसी भी न्यायालय में तीन दिनों के भीतर फैसला नहीं सुनाया गया है.

सुना चुके हैं कई ऐतिहासिक फैसला

जज मानवेंद्र मिश्र अब तक कई ऐतिहासिक फैसले सुना चुके हैं. इसके पूर्व उन्होंने 26 फरवरी 21 को नूरसराय थाना इलाके के एक गांव का इसी तरह का फैसला सुनाया था जिसमे उन्होंने दारोगा और पुलिस में नौकरी लगने वाले आरोपी किशोर को आरोप से बरी कर दिया था. (प्रणय राज की रिपोर्ट).

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