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छपरा : आशा व आंगनबाड़ी सेविका घर-घर जाकर दे रहीं आयरन की गोली, सप्ताह में एक गोली से किशोरियों में नहीं होगी खून की कमी

छपरा में किशोर एवं किशोरियों में खून की कमी न होने देने को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. जिसके तहत 10 से 19 वर्ष तक के किशोर एवं किशोरियों को सप्ताह में आयरन की एक नीली गोली वितरित करने का प्रावधान किया गया है. कोरोना संकट काल में स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बंद कर दिया गया है. ऐसे में आगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किशोर-किशोरियों के बीच आयरन गोली का वितरण कर रही हैं.

साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनूपुरण कार्यक्रम :

साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनूपुरण (विफ़्स) कार्यक्रम के तहत विद्यालय जाने वाले तथा विद्यालय नहीं जाने वाले किशोर-किशोरियों को आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर आयरन की गोली उपलब्ध करायी जा रही है. आशा की जिम्मेदारी दी गयी है कि वह अपने पोषक क्षेत्र में शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से प्रति किशोर-किशोरियों को प्रथम चरण में आई स्ट्रीप्स 15 गोली देने के लिए आंकलन कर एएनएम से मांग करेंगी. 10 से 19 वर्ष अथवा कक्षा 6 से 12वीं तक विद्यालय नहीं जाने वाली किशोरियों को पूर्व की तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर आई स्ट्रीप्स आईएफए ब्लू गोली (15) उपलब्ध करा रहीं है तथा खाने की विधि को विस्तार से बता रही हैं. यह व्यवस्था तब तक रहेगी जब तक स्कूलों में पूर्व की तरह संचालित नहीं हो जाये. आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखने के लिए जब तक आपेक्षित है तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विद्यालय नहीं जाने वाले किशोर-किशोरियों को आयरन की गोली उपलब्ध करायेंगी. यह बताया जायेगा कि सप्ताह के प्रत्येक बुधवार को नीली गोली ताजा पानी के साथ खाना खाने के बाद लेना है.

लक्षित समूह :

• स्कूल जानेवाले सभी किशोर व किशोरी जो की छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा के बीच हों.
• सभी बच्चे जो 10 वर्ष से 19 वर्ष की आयु के बीच हों.
• ऐसी किशोरी जो की स्कूल नहीं जाती हो.

किशोरियों में खून की कमी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं :

वहीं छपरा सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया एनीमिया को लेकर लोगों के व्यवहार परिवर्तन के लिए सामुदायिक स्तर पर अनेकों प्रयास भी किए जा रहे हैं. किशोरियों में खून की कमी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी करती है. किशोरी ही भविष्य में मां बनती है. इसलिए किशोरावस्था में उनका बेहतर स्वास्थ्य सुखद एवं स्वस्थ मातृत्व के लिए जरूरी हो जाता है. विफ़्स कार्यक्रम के तहत इस समस्या को दूर करने की अच्छी पहल की गयी है.

आयरन की कमी गंभीर समस्याओं का संकेत :

• शरीर में आयरन की कमी से कई गंभीर समयाएं उत्पन्न होती है.
• आयरन की कमी से किशोरों में स्मरण शक्ति, पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन एवं सक्रियता में कमी आ जाती है.
• सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा.
• रोग प्रतिरोध क्षमता में कमी के कारण संक्रमण फैलने का अधिक ख़तरा.
• मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी.
• प्रसव के दौरान स्वास्थ्य जटिलताओं में वृद्धि. (सेंट्रल डेस्क).

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