बेगूसराय : मरीज की मौत के बाद शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस हेतु गुहार लगाते रहे परिजन, अस्पताल प्रबंधन ने खड़े किए हाथ
बेगूसराय से बड़ी खबर है, जहां मानवता को तार-तार करने वाला एक मामला सामने आया है. जब नगर क्षेत्र के हर्रख निवासी एक महिला की सदर अस्पताल में मौत हो गई और परिजन शव को घर ले जाने के लिए सदर अस्पताल के पदाधिकारियों से एंबुलेंस की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी.
इस संबंध में हर्रख वार्ड नंबर-11 निवासी मरीज प्रीति देवी को लेकर अस्पताल आए राजकुमार ने बताया कि शनिवार को घर में बैठी प्रीति देवी अचानक गिर गई. हम लोग बाइक से लेकर सदर अस्पताल आए, जहां उनकी मौत हो गई. मौत के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की गुहार लगाया तो कहा गया कि एंबुलेंस खराब है. जबकि आधे दर्जन से अधिक एंबुलेंस सदर अस्पताल में खड़ी है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस देने से इंकार कर दिया. जिसके बाद बाइक पर शव ले जाने में दिक्कत होने पर ई-रिक्शा से लेकर घर जा रहे हैं. ई-रिक्शा से शव ले जाते देख लोगों में अस्पताल प्रबंधन के प्रति काफी गुस्सा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश विक्रम का कहना है कि बेगूसराय सदर अस्पताल में बड़ा रैकेट चल रहा है. यहां जिस दिन बड़े अधिकारी के निरीक्षण की जानकारी मिलती है, उस दिन सब कुछ ठीक-ठाक कर दिया जाता है. लेकिन उसके बाद अस्पताल आने वाले गरीबों का जमकर शोषण किया जाता है. एंबुलेंस और सदर अस्पताल के अधिकारी दोनों मिलकर खूब मनमानी करते हैं. बगैर पैसा दिए कोई काम नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एंबुलेंस की मुफ्त व्यवस्था कर रखी है, लेकिन सभी मरीजों से पैसा लिया जाता है. जिसका खुलासा पिछले सप्ताह डीएम के निरीक्षण में हो गया तो उन्होंने इसको लेकर कड़े निर्देश दिए, इसके बावजूद गरीबों की पुकार सुनने वाला कोई नहीं है.
बता दें कि बिहार सरकार ने बेगूसराय सदर अस्पताल को प्रथम स्थान देकर बड़ी पुरस्कार राशि दी है. लेकिन यहां समुचित तरीके से इलाज होना तो दूर शव ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिलता है. मजबूर होकर परिजन शव को बाइक और ई-रिक्शा से शव ले जाने के लिए मजबूर होते हैं. जबकि दिनभर सदर अस्पताल में कई एंबुलेंस खड़ा रहता है. (पिंकल कुमार की रिपोर्ट).
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