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नहीं दिख रही विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में रौनक

अनूप नारायण सिंह

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बिहार के सारण स्थित सोनपुर में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले में अब पहले जैसी रौनक देखने को नहीं मिल रही है.

बता दें कि कभी जानवरों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए प्रसिद्ध इस नीले में पहले हाथी फिर चिड़िया और अब सभी जंगली जानवर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. नतीजतन अब मेले में लोगों और सैलानियों के लिए कुछ खास रह ही नहीं गया है. हालांकि थियेटर के कारण मेले में कुछ भीड़ दिखाई देती है लेकिन विश्व प्रसिद्ध इस मेले के पूर्व की भीड़ की औसतन कुछ नहीं. मेले से बाहर के दुकानदार तीन दिन में ही निराश होकर कभी नहीं आने की उम्मीद के साथ वापस जाने की तैयारी में हैं. महज तीन चार विदेशी पर्यटक आए थे वे भी जा चुके हैं.

गौरतलब है कि साधु व हाथी के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध सोनपुर मेले का इतिहास बहुत पुराना है. राजा राजवाडो के समय डेढ माह तक यह मेला लगता था. मनोरंजन के लिए काबूल से ढाका तक के तवायफों के तंबू लगते थे. आजादी के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा. नब्बे के दशक में मुजरा व नौटंकी की जगह थियेटर का आगमन मेले में हुआ. शहरी क्षेत्रों का फैलाव होने से इस मेले की सेहत पर कोई असर नहीं हुआ पर हाथी के खरीद बिक्री, चिडियों व अन्य जंगली जानवरों पर प्रतिबंध लग जाने के बाद मेले में आकर्षण थिएटर को लेकर ही है.

जानकार हैरानी व्यक्त करते हैं कि सिर्फ पोस्टर को अश्लील बता जिला प्रशासन ने मेले में आए सभी नौ थिएटरों का लाइसेंस पिछले साल रद्द कर दिया था. इस साल सशर्त अनुमति प्रदान की गई है कि सभी थिएटरो के अंदर कैमरे से निगरानी की व्यवस्था है. आज उदास चेहरा लिए दर्जनों व्यापरियों ने कहा कि जब सब कुछ बंद हो गया तो पब्लिक क्यों आएगी. अब तो थियेटरों से ही थोड़ी बहुत आस लगी हुई है.

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