सांस की बदबू कैसे हटाये
श्वेता
सांस की बदबू के बारे में हम टीवी पर अक्सर इश्तेहार देखते है. स्त्री-पुरुष संबंध या दोस्तों में यह एक उपद्रव महसूस होता है. यह एक छोटीसी बिमारी ही समझे. स्वस्थ अवस्था में सांस को कोई बू नही आती या बहुत ही सौम्य होती है. 2 या 3 फीट अंतराल में यह बू दुसरोंको महसूस नही होती लेकिन पास आनेसे अनुभव होती है. कुछ लोगों के सांस को अक्सर जादा बदबू होती है.अब हम इसके कारण जान लेंगे.
कारण पहचानकर इलाज होना जरुरी है. तमबाकु खाना या धूम्रपान बदबू का एक प्रमुख कारण होता है. इन आदतोंको छोडना सबसे महत्त्वपूर्ण है. प्याज, लहसून, कुछ साग सब्जीयॉं, सामिश आहार और मछली खानेसे सॉँस को कुछ बू आ सकती है. इन पदार्थोंको रात में खाना उचित होगा. इससे आपके दिन के क्रम में बदबू का अनुभव नहीं होगा. अपच्य के कारण सॉँस को कुछ समय तक बदबू आती है. मसूडों को सूजन और पीप होनेसे बदबू चलती है. इसके लिये मसुडों और दातों की हमेशा ठीक सफाई करे. निंबू या आवला जैसे व्हिटामिन सी युक्त फल खाने से मसूडे मजबूत होते है. भोजन के बाद दातों में अन्न के कुछ कण अटक जाते है. इसपर कीटाणू प्रक्रिया करते है जिससे बू चलती है.इसके लिये हर छोटे-बडे खानेके बाद कुल्हा करना जरूरी है.सोनेके पहले और उठनेके बाद दात और मसूडें ब्रशसे साफ करे. इसकी आदत बचपनसेही लगनी चाहिये। बुढापे में मुँह में लार कम होती है। इसके कारण जिवाणू पनपते है और सॉँस को बदबू चलती है। इसके लिये हर घंटे कुल्हा करे. नीमके काढेसे कुल्ला करने से जिवाणू रोकने के लिये ज्यदा अच्छा होगा. इसलिये मेडिकल स्टोर में कुछ दवाइयॉं भी मिलती है. सुपारीसे मुँहकी लार कम पडती है, इसलिये सुपारी का प्रयोग न करें.
दातों पर टारटार याने एक पीला सख्त पदार्थ जमकर दात और मसूडें खराब करते है. हर साल दात के डाक्टर के द्वारा इसकी सफाई करना जरूरी है. दात साफ रखनेके लिये हमेशा ब्रश का इस्तेमाल करे. ब्रश नीचे-उपर घुमाने का तंत्र जरूरी है. इससे दात ठीक से साफ होते है. मीठे वाले टूथपेस्ट के बजाय कडवे वाले टूथपेस्ट ज्यादा अच्छे है. तम्बाकू टालना चाहिये. धूम्रपान से भी बचकर रहिये.
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