कैमूर : कुश्ती में बिहार कुमारी का खिताब पाने वाली अन्नू मुफलिसी में ब्यूटी पॉर्लर चलाने और सड़क किनारे पेट्रोल बेचने को मजबूर
कैमूर की अन्नू गुप्ता बिहार कुश्ती में ऐसा नाम है जिसने अपने हौसले से अपने फैसले पर हक जताया और मुकाम भी हासिल किया. लेकिन सरकार और प्रशासन की बेख्याली के कारण पहलवानी के हिसाब से जरूरी खुराक तो दूर जिंदगी जीने के लिए अन्नू को दो वक्त की रोटी भी ढंग से मयस्सर नहीं. नतीजतन, अपनी और अपने परिवार के गुजर बसर के लिए दर्जन भर स्टेट कुश्ती के मेडल व सूबे की सर्वश्रेष्ठ महिला पहलवान का “बिहार कुमारी” खिताब पाने वाली अन्नू गुप्ता आज ब्यूटी पॉर्लर चलाने और सड़क किनारे बोतलों में पेट्रोल बेचने को विवश है.
बता दें कि दुर्गावती प्रखंड के आदर्श ग्राम नुआंव के भगवान साह की बेटी और आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली अन्नू ने छोटी उम्र में जब अखाड़े से नाता जोड़ा तो घर में तुफान आ गया. मां ने कहा बेटी हो, कुश्ती लड़ेगी ? पिता ने कहा बदल लो फैसला. भाई बोले- स्वीकार नहीं. लेकिन अन्नू ने मन ही मन कहा मैं नहीं, मेरी सफलता बोलेगी. फिर तब से गरीबी और परिजनों के विरोध के बीच उसके संकल्प का स्वरुप जिद सरीखा हुआ. दो साल तक रियाज किया और वर्ष 2016 में स्टेट कुश्ती का पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. आठवीं कक्षा की अन्नू का सफर कॉलेज कैम्पस तक पंहुच गया. दर्जन भर स्टेट कुश्ती के मेडल व सूबे की सर्वश्रेष्ठ महिला पहलवान का बिहार कुमारी खिताब अन्नू की झोली में है. 12 बार नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी है. वह वीर कूंवर सिंह विश्वविद्यालय की कुश्ती चैंपियन भी है.
लेकिन, इतनी उपलब्धियों बक बावजूद उसका छः वर्षों से गरीबी के मोर्चे पर रोजाना संघर्ष जारी है. झोली मेडलों से भरी है मगर, पहलवानी के लिए कायदे की खुराक कभी नहीं मिली. अभ्यास भी खुद की बदौलत क्योंकि कैमूर व्यायामशाला में बेटियों को प्रैक्टिस की अनुमति नहीं. घर में छोटी बहन के साथ रियाज कर बीते साल बिहार कुमारी का खिताब जीत सूबे में कैमूर का डंका बजा दिया. इसी हफ्ते कैमूर केसरी का खिताब जीता तो चमचमाती सुनहली गदा कंधे की शोभा बनी. लेकिन, घर पर रोटी के जुगाड़ में ब्यूटी पार्लर चलाना व घर के सामने वाली सड़क पर पेट्रोल बेचने से मुक्ति नहीं मिली. इसी कमाई से उसका खुराक चलता है. पूछने पर सरकारी सिस्टम की शिकायत भी नहीं करती. बताती है कि सपना पूरा करने के लिए जो भी जरूरी है अपने दम पर करने का निश्चय है. गरीब परिवार से हूं, खेती है नहीं. किराना दुकान से परिवार की गाड़ी पिता व भाई चलाते है. मैं उनपर भी बोझ नहीं बनना चाहती. अन्नू जीबी कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा है. मुफलिसी बरकरार है लेकिन अन्नू की सफलता ने माहौल बदल दिया है. अब माता- पिता को बेटी पर गर्व है. भाइयों को बहन पर नाज है. कॉलेज अपनी छात्रा की उपलब्धियों पर इतरा रहा है और समाज की दुआएं उसे मिल रही हैं. खाने को कायदे का खुराक नहीं, लेकिन गरीबी कहती है “बेटी तेरे हौसले के आगे हार गई”. अन्नू ने अपनी कुश्ती के बदौलत बिहारी कुमारी का न सिर्फ ख़िताब हासिल किया बल्कि उसकी मेहनत को देखते हुए उसे शास्वत पुरुष्कार से भी नवाजा गया. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल और वर्त्तमान में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिन्द ने अन्नू को शास्वत पुरुष्कार से सम्मानित किया गया था. इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करने के बाद भी आज अन्नू की मदद करने वाला कोई नहीं है. (विशाल कुमार की रिपोर्ट).
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