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नालंदा : 12 सूर्यधामों में प्रसिद्ध है बड़गाँव का सूर्य मंदिर और तालाब, नहाय खाय के साथ छठव्रतियों का आना शुरू 

प्रणय राज

https://youtu.be/G_pFxtkkMsE

देश के 12 सूर्य मंदिरों में नालंदा के बड़गाँव और औगारी सूर्य मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के कारण बिहार ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से श्रद्धालु यहाँ आकर चार दिनों तक प्रवास कर सूर्य उपासना का महापर्व छठ व्रत करते हैं. लोगों की ऐसी मान्यता है कि बड़गाँव के सूर्य तालाब में स्नान कर मंदिर में भगवान भास्कर की पूजा करने से कुष्ट रोग सहित साथ बीमारियां ठीक हो जाती है.

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब को मिली थी कुष्ठ रोग से मुक्ति

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब से इन दोनों सूर्य धामों का इतिहास जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब काफी रूपवान थे. उन्हें देखकर रानियां भी मोहित हो जाती थी. एक बार की बात है कि वे सरोवर में रानियों के साथ रास रचा रहे थे । तभी उधर से नारद मुनि गुजरे. रास रचाने में व्यस्त साम्ब ने उनका अविभादन नहीं किया. जिससे वे कुपित हो गए और उन्हें श्रीकृष्ण से जाकर इसकी शिकायत की. श्रीकृष्ण को इसपर विश्वास नहीं हुआ लेकिन नारद मुनि के बहुत कहने पर जब वे सरोवर की ओर गए तो उन्हें भी यह दृश्य दिखा तो वे कुपित होकर उन्होंने अपने पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग का शिकार होने का श्राप दे दिया.

शाप से मुक्ति का भगवान सूर्य ने ही बताए उपाय

राजा साम्ब द्वारा अपने पिता कृष्ण से काफी क्षमा याचना के बाद श्री कृष्ण ने कहा कि तुम्हें दिया गया श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसका उपाय नारद मुनि ही बता सकते हैं तब वे नारद मुनि के पास गए और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. नारद जी उन्हें लेकर अपने साथ श्रीकृष्ण के दरबार में पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने कहा कि इसके लिए सूर्य देव की उपासना करनी होगी. साम्ब ने सूर्य देव की कठिन उपासना की तब जाकर सूर्य देव प्रकट हुए और उन्हें 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना और वहां अपनी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने को कहा. राजा साम्ब ने ठीक वैसा ही किया. जिससे उन्हें पुनः कंचन काया प्राप्त हुआ. उन्हीं 12 मंदिरो में बड़गाँव और औगारी धाम का  सूर्य मंदिर और तालाब है. प्रचलित धारणाओं के अनुसार राजा साम्ब ने ही बड़गांव सूर्य तालाब में 2 कुंड बनवाए थे जो आज भी जीर्ण शीर्ण हालत में तालाब के समीप मौजूद है.

ऐसी मंदिर जहाँ पूरे परिवार के साथ है भगवान भास्कर की प्रतिमा

राजा साम्ब ने इस स्थल की खुदाई कराई तो भगवान सूर्य की काले पत्थर की बेशकीमती प्रतिमा मिली जो सात घोड़ों के रथ पर सवार है और रथ के दोनों तरफ कमल का फूल और बीच में सूर्य देव के भाई श्यमदित और बायीं ओर कल्पादित, दहिनी ओर माता अदिति की प्रतिमाएं मिली जो आज मंदिर में स्थापित है.

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