चाईबासा : मकर संक्रान्ति के दिन वैतरणी पर हजारों श्रद्धालू लगाएंगे आस्था की डुबकी, मेले के लिए सज कर तैयार हुआ रामतीर्थ
चाईबासा में आस्था, एकता, मेल मोहब्बत, हर्षोल्लाष, विश्वास, भारतीय संस्कृति और सूर्य उपासना का महापर्व मकर संक्रान्ति धूमधाम से मनाया जाएगा. इसकी तैयारी के लिए नव वर्ष के बाद से ही क्षेत्र के लोग जुट गए थे. श्रद्धालू दही, गुड़, चूड़ा एंव तिल का सेवन कर अन्न दान करेंगे.
बता दें कि चंपुआ तथा जैंतगढ़ आसपास वैतरणी नदी तट, नीलकंठ, केसरकुंड, मृगसिंगा आदि जगहों पर हजारो श्रद्धालू आस्था की डुबकी लगा कर स्नान करेंगे. भारत मे मकर पर्व को अलग अलग नाम से जाना जाता है. कहीं टुसू, पोंगल, बिहू और लोढ़ी के नाम से भी जाना जाता है. अलग अलग जगहों अलग अलग नाम से अलग अन्दाज मे यह पर्व मनाया जाता है. सिंहभूम में मकर और टुसू अपने लजीज व्यंजन और खान पान के कारण प्रसिद्ध है. यह पर्व मांस पीठा पर्व के नाम से जाना जाता है. सूर्य उपासना का यह पर्व पृथ्वी के गोलार्ध मे परिवर्तन के कारण मनाया जाता है. इसे किसानो के पर्व के नाम से भी जाना जाता है. कहीं तो इसे फसली पर्व की संज्ञा भी दी जाती है.
मकर पर्व के अवसर पर कई स्थानो मे धार्मिक मेले लगते हैं. जैंतगढ़ मे रामतीर्थ स्थल, नीलकंठ के संगम स्थल, और केसरकुंड मे धार्मिक मेला लगेगा. इस अवसर पर मकर मेहमान नवाजी होती है. 14 जनवरी को रामतीर्थ और एंव केसरकुंड तथा 15 जनवरी को नीलकंठ, कादोकोड़ा, सियालजोड़ा एंव बाराटिबरा मे धार्मिक मेले का आयोजन होगा. साथ ही कुकड़ा उड़ा के साथ माघ माह का स्वागत किया जाएगा. वहीं मकर पर्व पर विशेष रूप से अरवा चावल एंव गुड़ का पीठा बया जाता है. पीठा लेकर लोग अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं. घरों मे मेहमानो को पीठा खिलाया जाता है. इस अवसर पर विवाह केलिए लड़की-लड़का भी देखा जाता है. मकर का पर्व एक प्रकार से सुख, सामृद्धि और नए रिश्ते को बनाने का पर्व है.
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