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नालंदा : बिहारशरीफ में मगध सम्राट राजा जरासंध की प्रतिमा स्थापित कर हुई पूजा-अर्चना

 

नालंदा में जरासंध पूजा को लेकर बुधवार को शहर में चंद्रवंशी समाज के द्वारा जगह-जगह पूजा पंडालों में मगध सम्राट राजा जरासंध की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गयी. इस दौरान चंद्रवंशी समाज के कई श्रद्धालु भी पूजा में शामिल हुए.

इस मौके पर जरासंध पूजा समिति डाक बांग्ला मोहल्ला बिहार शरीफ के अध्यक्ष संजय कुमार डिस्को व बबलू कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि महाराज जरासंध एक महाबलशाली  राजा थे और वह चंद्रवंशी समाज के एक ताकतवर योद्धा भी कहे जाते हैं. चंद्रवंशी समाज के द्वारा पिछले कई सालों से डाकबंगला मोड़ चौराहा पर जरासंध की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करते हैं.

गौरतलब है कि प्राचीन जरासंध मथुरा के राजा कंस के ससुर एवं परम मित्र थे. उनकी दोनों पुत्रियों आसित व प्रापित का विवाह राजा कंस से हुआ था. श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उन्होंने 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की, लेकिन हर बार उन्हें असफल होना पड़ा. जरासंध के भय से अनेक राजा अपने राज्य छोड़ कर भाग गए थे. जरासंध ब्राम्हणों का बहुत सम्मन करते थे. इसलिये इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन के साथ ब्राह्मणों का भेष बनाकर मगध की ओर चल दिए. वहां पहुंच कर जरासंध ने उन्हें ब्राह्मण समझकर कहा कि उन्हें जो भी चाहिए वे मांग लें जिसपर श्रीकृष्ण ने उनसे मल्ल युद्ध करने की इच्छा जाहिर की जिसपर उन्होंने मल्ल युद्ध के लिए भीम को ही चुना. यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा, लेकिन जितनी बार भीमसेन उनके दो टुकड़े करते वह फिर से जुड़ जाते. इस पर श्रीकृष्ण ने घास की एक डंडी की सहायता से भीम को संकेत किया की इस बार वह उसके टुकड़े कर के दोनों टुकड़े अलग-अलग दिशा में फेंके, तब भीम ने वैसा ही किया और इस प्रकार जरासंध का वध हुआ. (प्रणय राज की रिपोर्ट).

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