नवरात्र में दिन में सोने से नहीं मिलता पूजा का फल
अभिषेक श्रीवास्तव
आज नवरात्रि का प्रथम दिन है. नवरात्रि यानी दुर्गा पूजा. वैसे तो नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती है, जिसमे दो गुप्त नवरात्रा और चैत्र नाथा अश्विन नवरात्रा, इसमें से अश्विन नवरात्रा देश के अधिकतर भागों में मानाया जाता है. नवरात्रा हर वर्ष कोई ना कोई खास संयोग लेकर ही आती है.
नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की अराधना की जाती है. तमाम तरह से मां को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए प्रयास किए जाते हैं. इस दौरान कई लोग नवरात्र में कलश स्थापित करते हैं तो कुछ लोग केवल व्रत रखते हैं. यानी कि हर कोई देवी मां को अपने-अपने तरीकों से रिझाने और प्रसन्न करने के जतन करता है.
वैसे तो नवरात्रा व्रत के सामान्य नियम सभी जानते हैं पर एक अहम नियम ये भी है कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के दिनों में दिन में सोना नहीं चाहिए. ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता. कोशिश करें कि 9 दिनों तक दिन में मातारानी के भजन-कीर्तन करें.
नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है.
मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं. नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है. दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है.
नवरात्रि और 9 देवियों का पूजन :
- प्रतिपदा तिथि : घटस्थापना, श्री शैलपुत्री पूजा
- द्वितीया तिथि : श्री ब्रह्मचारिणी पूजा
- तृतीया तिथि : श्री चन्द्रघंटा पूजा
- चतुर्थी तिथि : श्री कूष्मांडा पूजा
- पंचमी तिथि : श्री स्कंदमाता पूजा
- षष्ठी तिथि : श्री कात्यायनी पूजा
- सप्तमी तिथि : श्री कालरात्रि पूजा
- अष्टमी तिथि : श्री महागौरी पूजा, महा अष्टमी पूजा, सरस्वती पूजा
- नवमी तिथि : महा नवरात्री.
यदि मैं माता दुर्गा के महिमा का बखान करना चाहूं तो ये सूर्य को दीपक दिखाने के बराबर होगा, क्योंकि उनकी महिमा अनंत और हमारी जानकारी सीमित है. कामना करता हूं कि माता की कृपा आप सभी पर बनी रहे. (साभार : श्री गुरुजी, मानस मुखर्जी, बोकारो स्टील सिटी, झारखण्ड).
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