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चाईबासा : राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम को सौ करोड़ का डीएमएफटी फंड दिए जाने का मामला प्रधानमंत्री के यहां पहुंचने की चर्चा

चाईबासा में राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम को सौ करोड़ का डीएमएफटी फंड दिए जाने का मामला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां पहुंचने की चर्चा जोरों पर है. सूत्रों की माने तो भाजपा के प्रदेश स्तर के नेता के द्वारा केन्द्र प्रायोजित योजना pmkkky/dmft की मार्ग दर्शिका का उल्लंघन कर गलत तरीके से यानी नियम प्रकिया के विरुद्ध एक क्लर्क के भरोसे सौ करोड़ की योजना दे दी गई है.

गौरतलब है कि तत्कालीन डीडीसी संदीप बक्शी ने जिला के माननीय लोग को एक साथ कर के तत्कालीन डीसी अनन्या मित्तल को मजबूर कर सौ करोड़ की योजना की स्वीकृति करा ली. जबकि उक्त एजेंसी का अपना कोषागार में पीएल अकाउंट भी नहीं है. उक्त एजेंसी के पास मात्र एक सहायक है, जो लेखापाल, लेखा पदाधिकारी, रोकडपाल का भी कार्य कर रहे हैं, जिसके कारण वित्तीय अनियमितता हो रही है. हाल के दिनों में एक संवेदक का चेक बाउंस हो गया, लेकिन उक्त सहायक पर कोई भी करवाई नहीं की गई. उक्त एजेंसी का स्वीकृत स्ट्रेंथ के आधार पर अन्य विभाग के एजेंसी की तरह सभी स्तर के कर्मचारी/ पदाधिकारी/ रोकड़ पाल/ लेखा पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति जिला प्रशासन नही करना चाह रहा है. आज विडम्बना यह है कि उक्त एजेंसी के द्वार सीधे तौर पर संवेदकों को भुगतान नहीं होता है बल्कि जिला परिषद के कोषागार अकाउंट से किया जाता है, जिसके कारण भुगतान की प्रक्रिया में काफी विलंबता होती है. उक्त एजेंसी में मैनेज टेंडर में फेल संवेदकों को पास कर कार्यपालक अभियंता भारी कमिशन वसुली करने की भी जिक्र किए जाने की बात कही जा रही है. सभी विभाग के एजेंसी में AG से लेखा पदाधिकारी का पदस्थापन किया गया है, वो इस लिए की वित्तीय अनियमितता को रोका जा सके।लेकिन यहां तो कार्यपालक अभियंता के द्वारा फर्जी विपत्र पारित कर लाखों का भुगतान कर संवेदकों के साथ बंदर बांट कर लिए जाने की भी जानकारी मिल रही है. कार्यालय सहायकों की भारी कमी के कारण समय पर निविदा का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. सीएस तैयार नहीं होने के कारण संवेदकों को कार्य आवंटित नहीं किया जा रहा है.

उक्त एजेंसी में अबतक के निविदा की जांच केन्द्रीय एजेंसी से कराने की भी मांग प्रधानमंत्री से की जाने की सूचना प्राप्त हो रही है. ऐसा लगता है कि निकट समय में समाहरणालय में केंद्रीय एजेंसी की धमक सुनने को मिल सकती है. सवाल बड़ा है. एक कार्यालय सहायक के भरोसे सौ करोड़ की योजना दिए जाने के पीछे का मंशा क्या है. टेंडर मैनेज कर फेल संवेदक को पास करना. संवेदकों को कार्य आवंटित किए जाने में पक्ष पात किया जाना. संवेदकों से सांठ गांठ कर करोड़ों का भुगतान किया जाना. इस संबद्ध में जिला प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में है. विगत वर्ष भाजपा के एक बड़े कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिस में केन्द्र सरकार के गृह मंत्री जी अमित शाह ने डीएमएफटी योजना की जांच कराने की बात कही है. वहीं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी डीएमएफटी घोटाला की जांच केन्द्रीय एजेंसी से कराने की बात कह चुके है. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट).

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