छपरा : “कोरोना सर्वाइवर के साथ सामाजिक भेदभाव” पर वेबिनार का हुआ आयोजन
छपरा में एक तरफ जहां कोरोना से संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हुयी है तो दूसरी तरफ कोरोना से जंग जीतने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ रही है. कोरोना से जंग के माहौल में समाज में कुछ अफवाहें भी तेजी से फैली है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सामाजिक दूरियां अपनाने की बात कही जा रही है. लेकिन कुछ लोग सामाजिक दूरियों को मानसिक एवं भावनात्मक दूरियों में तब्दील करते दिख रहे हैं. कोरोना को लेकर फैलाये जा रहे दुष्प्रचार का आलम यह है कि जिले में कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को अभी भी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. अभी संक्रमित के साथ परिवार में किसी को भी कोरोना का संक्रमण नहीं है. लेकिन समुदाय में कुछ लोग इसे काला जादू से जोड़कर भी देख रहे हैं एवं उनका सामाजिक बहिष्कार करने पर आमदा हैं. इन भ्रांतियों एवं सामाजिक भेदभाव को दूर करने के उद्देश्य से “कोरोना सर्वाइवर के साथ सामाजिक भेदभाव” विषय पर सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के द्वारा मंगलवार को वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ रंजितेष कुमार, यूनिसेफ के एसएमसी आरती त्रिपाठी ने प्रमुखता से इस विषय पर अपनी राय रखी.
कोरोना से जंग जीतने वाले सम्मान के हैं हक़दार :
इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कोरोना से उबर चुके व्यक्तियों के साथ सामाजिक भेदभाव किसी भी तरीक से सही नहीं है. कोरोना से जंग जीतने वाले तिरस्कार की जगह सम्मान के हक़दार हैं. उन्होने कहा “एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि मैं लोगों के प्रति इस भेदभाव को खत्म करूं. क्योंकि कोरोना से लड़ना तो बहुत आसान है, लेकिन कोरोना सर्वाइवर के साथ हो रहे भेदभाव से लड़ना बहुत कठिन है. हमारे फोन की कॉलर ट्यून भी हमें यही सिखाती है कि हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं. लेकिन लोग बीमारी से लड़ने के बजाए बीमार से लड़ रहे हैं.” डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कोरोना संक्रमण काल में सोशल डिस्टेंसिंग शब्द के इस्तेमाल को कई बार गलत अर्थों में लिया गया है. सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ शारीरिक दूरी से है न कि कोरोना संक्रमित या उपचाराधीन व्यक्ति से किसी भी तरह की सामाजिक एवं भावनात्मक दूरी निर्मित करना है. उन्होंने कोरोना से जंग जीत चुके लोग या उनके परिजन के साथ किसी भी प्रकार का सामाजिक भेदभाव होने की दशा में जिले के कंट्रोल रूम या टोल फ्री नम्बर पर सम्पर्क करने की बात भी कही.
संक्रमित व्यक्ति के शव के दाह संस्कार करने में घबराए नहीं :
डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कुछ मामले ऐसे भी मिल रहे हैं जहां परिजनों ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत होने पर अंतिम संस्कार के लिए शव को लेने को तैयार नहीं है. कभी जिस पिता ने अपनी बेटी या बेटे को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, दहलीज को पार कराया वह भी अपने पिता से दूरी बना रहे हैं. यह सामाजिक समरसता के लिये काफी नुकसान दायक है. कोरोना से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार सरकार द्वारा जारी गाईड लाइन के अनुसार किया जाना चाहिए. अगर कोई सामाजिक भेदभाव कर रहा है तो प्रसाशनिक अधिकारियों के द्वारा कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी.
सामाज में फैली भ्रांतियों से दूर रहने की आवश्यकता :
वेबिनार को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ रंजितेष कुमार ने बताया कोविड-19 को लेकर सामाज में कई तरह कि भ्रांतियां फैली हुई हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से कई अफवाहें फैली हैं. इन चीजों से दूर रहने की आवश्यकता है. बिना किसी अधिकारिक पुष्टि के कोई भी मैसेज फारर्वड नहीं करें. हाल में देखने को मिला है कि गांव की महिलाएं कोरोना को कोरोना देवी मानकर पूजा अर्चना कर रहीं थी. यह कहीं से भी सही नहीं है. कोरोना एक संक्रामक बीमारी है. यह किसी को भी हो सकता है. गरीब-अमीर-ऊंच-नीच की भावना नहीं रखें. यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. उन्होने बताया कि अगर कोरोना सर्वाइवर या वारियर्स के साथ सामाजिक भेदभाव हो रहा है तो उन्हें मानसिक परेशानियां होती है. उनके मन में हीन भावना पैदा होती है. अगर, वह कोरोना संक्रमित है तो उसे रिकवर होने में भी समय लग सकता है. इसलिए उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव उचित नहीं है, बल्कि उसे प्रोत्साहित करें और उसके मनोबल को बढ़ाते रहें.
कोरोना महामारी के बीच भी हो रहा है टीकाकरण :
यूनिसेफ के एसएसमसी आरती त्रिपाठी ने बताया कोरोना के इस दौड़ टीकाकरण को लेकर चुनौतियां है. जिसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. लाभार्थियो को जानकारी दी जा रही है कि नियमों का पालन करते हुए टीकाकरण कराना जरूरी है. कंटेन्मेंट जोन को छोड़कर सभी सत्रों पर नियमित टीकाकरण किया जा रहा है. सुरक्षित तरीके से टीका लगाया जा रहा है. किसी तरह के संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है क्योंकि सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. उन्होने बताया अगर कोई बच्चा या उसकी मां कोरोना संक्रमित है तब उसे टीका नहीं लगाया जा रहा है. उसके स्वस्थ्य होने तक इंतजार किया जा रहा है. स्वस्थ्य होने के बाद जरूरी टीका लगाया जा रहा है. टीकाकरण स्थल पर आते समय मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी का पालन करना बेहद जरूरी है.
कोरोना को लेकर अनावश्यक भय सामाजिक भेदभाव का कारण :
वेबिनार में सीफ़ार की कार्यकारी निदेशक अखिला शिवदास ने बताया महामारी के दौरान लोगों के मन में कोरोना के प्रति अनावश्यक भय में भी वृद्धि हुयी है. इसके ही कारण लोग कोरोना से जंग जीत चुके लोगों से भेदभाव करते हैं. इसलिए यह जरुरी है कि समाचार पत्रों के माध्यम से कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों के साथ संक्रमण प्रसार की विभिन्न संभावनाओं के विषय में भी समुदाय को जानकारी दी जाए. उन्होंने बताया जैसे ही लोगों को यह जानकारी होगी कि कोरोना से जंग जीत चुके लोगों से संक्रमण प्रसार नहीं होता है तब स्वतः सामाजिक भेदभाव जैसी घटनाएँ खत्म हो जाएगी.
गौरतलब है कि वेबिनार का संचालन सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गणपत आर्यन ने किया. वेबिनार में सीफ़ार की कार्यकारी निदेशक आख़िला शिवदास, नेशनल टीम से रंजना द्विवेदी एवं आरती धार, स्टेट एसपीएम रणविजय कुमार, सहायक एसपीएम रंजीत कुमार, सरिता मलिक सहित मीडिया कर्मी शामिल थे. (सेंट्रल डेस्क).
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