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बेगूसराय : आजमगढ़ की प्रस्तुति नाटक बूढ़ी काकी का मंचन

नूर आलम

बेगूसराय में आकाश गंगा रंग चौपाल एसोसिएशन, बरौनी द्वारा आयोजित तृतीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग संगम के दूसरे दिन मंगलवार को सूत्रधार आजमगढ़ की प्रस्तुति नाटक ‘‘बूढ़ी काकी‘‘की दमदार प्रस्तुति की गई.

बता दें कि बुद्धि काकी कथा सम्राट मुशी प्रेमचन्द  की प्रसिद्ध कहानी है. जिसमे बूढ़ी काकी का भतीजा बूद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा चाची के वारिस बन जाने के बाद उनकी कोई देख भाल नही करते है. उन्हें उनकी उपेक्षा करते है. जिस दिन बुधिराम के बेटे का तिलक आता है घर मे भोज होता है, पास पड़ोस नात रिश्तेदार खा कर चले जाते है. लेकिन बूढ़ी काकी को कोई नही पूछता. काकी पूरी रात अपने को कोसते हुए अपने कोठरी में पड़ी-पड़ी कुढ़ती रहती है. तभी बुधिराम की बेटी काकी के लिए चोरी से पूड़ियाँ ले जाती है. भूख से व्याकुल काकी को और भोजन की जरूरत होती है, सो वो अपनी पोती के साथ जब पत्तलों के जुठे पत्तलों के ढेर के पास जाती है तो उन्हें बहुत लालच आता है वो उन पत्तलों पर टूट पड़ती है. जब ये दृश्य रूपा देखती है तो उसे बहुत ग्लानि होती है. तब वो काकी से माफी माँगती है और उसे खाने को देती है. इस प्रकार नाटक का सुखांत होता है.

नाटक के मुख्य पात्र में अंगद कश्यप, रितेश रंजन, संदीप कुमार, नंदनी दास, शुभम बरनवाल ने अपनी प्रस्तुति से समा बांधा. वहीं नाटक को सफल बनाने में संगीत शशिकांत कुमार, कोरस ज्ञानेन्द्र यादव, सत्यम पांडेय प्रकाश एवं परिकल्पना रंजित कुमार की थी.

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