कुशीनगर : बैंक द्वारा पकड़े गए जेबकतरों को गिरफ्तार करने की बात कह अपनी पीठ थपथपा रही तरयासुजान पुलिस
सुरेंद्र नाथ द्विवेदी
पुलिस का चर्चा में रहना आम है. वह कभी बड़ी घटना को लेकर चर्चा में आ जाती है तो कभी बड़ी कार्रवाई को लेकर. लेकिन जब वह किसी गम्भीर मामलों को लेकर आम आदमी के निशाने पर आ जाय तो चर्चा खास होना लाजमी है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ने इसी तरह के एक गम्भीर घटना में बैंक मैनेजर द्वारा दो जेबकतरों को पकड़ कर पुलिस को दिए जाने के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर तरयासुजान पुलिस चर्चा में है. जिसको लेकर आम आदमी भी सवाल खड़े करते हुए पुलिस को अपने उच्चाधिकारियों तक को गुमराह करने की बात कह रहा है.
दरअसल, बीते 15 मई को पूर्वांचल बैंक सलेमगढ़ के प्रबंधक ने दो जेबकतरों को रंगे हाथ पकड़ा. सैकड़ो बैंक ग्राहकों के सामने उन जेबकतरों ने पिछली घटनाओं को स्वीकार भी किया. फिर शाखा प्रबंधक ने बहादुरपुर पुलिस को बुलाकर सैकडों लोगों के सामने नियमानुसार जेबकतरों को पुलिस के हवाले कर दिया. उधर पुलिस बैंक से जेबकतरों को लाने के बाद सीधे तरयासुजान थाने पर ले गयी और शाम को पुलिस द्वारा यह सूचना दी गयी कि वे बेगुनाह थे, लिहाजा काफी पूछताछ करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया. वह आम आदमी जो बैंक में था, जो हर बार बैंक में हुई घटनाओं में इन दोनों जेबकतरों को सीसी टीवी फुटेज में देखा और जिनके सामने जेबकतरों ने सभी घटनाओं को स्वीकार किया था. वह पुलिस के इस कहानी को पचा नहीं पा रहा था. पुलिस के कहानी में नया मोड़ तब आ गया जब 20 मई को पुलिस का एक प्रेसनोट प्रसारित हुआ. जिसमें कहा गया कि पुलिस ने मुखबिरों के सूचना पर जाल बिछाकर तमकुहीराज हाइवे चौराहे से दो चोरों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से नकद, गहने और कपड़ा बरामद हुआ है. लोगों ने पुलिस की तारीफ अभी शुरू ही कि थी कि उन चोरों का फोटो भी वायरल होने लगा. जिसे देख आम आदमी दांतों तले उंगली दबाने लगा. कारण यह कोई और नही बल्कि वही जेबकतरे थे जिन्हें बैंक में क्रमशः भीमा तिवारी पुत्र स्व रामचन्द्र तिवारी, साकिन पश्चिम पटखौली मनियर, थाना मनियर, जनपद बलिया व गोपाल तिवारी पुत्र उमाशंकर तिवारी, सा. चिकी टोला थावे, थाना थावे, जनपद गोपालगंज, बिहार पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था. तब उनके पास से लगभग पच्चीस हजार रुपये भी बरामद हुए थे. जिन्हें पुलिस निर्दोष बता छोड़ने की बात कह चुकी थी.
बात आगे बढ़ी लोगों में पुलिस के इस खेल को समझने की जिज्ञासा भी. तब समझ मे आया कि पुलिस उसी दिन यह योजना बना ली थी कि इन्हीं के सहारे वह चोरियों का खुलासा कर पुलिस के कार्यशैली पर उठ रहे सवाल पर विराम लगाने में सफल होगी. लेकिन पुलिस की इस कारगुजारी ने आम आदमी में उसकी विश्वनीयता पर सवाल ही खड़ा कर गया. सूत्र बताते है कि जेब कतरों के पास से जो पैसे बरामद हुए थे, पुलिस उन्ही पैसों से बरामदगी में इस्तेमाल में लायी गयी नकदी और सामग्रियों की व्यवस्था कर एक बड़ा खेल खेला. इस तरह उसे न किसी मुखबीरी की जरूरत पड़ी और न ही किसी भागदौड़ की, फिर भी उसने एक साथ कई चोरी के घटनाओं का खुलासा कर दिया. वहीं पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मामला गम्भीर है, अगर चोर बैंक से पकड़े गये तो उसे जेल जाना चाहिये ही. लेकिन अन्य चोरी में इनकी संलिप्तता हुई है तो यह जांच का विषय है. पता करवता हूँ, जो सच्चाई होगी उसी आधार पर कार्रवाई होगी.
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