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बेगूसराय : गरीब कल्याण रोजगार अभियान को लेकर वेब गोष्ठी आयोजित

बेगूसराय में मंगलवार को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा रीजनल आउटरीच ब्यूरो पटना गरीब कल्याण रोजगार अभियान से संबंधित वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया.

रीजनल आउटरीच ब्यूरो पटना के अपर महानिदेशक शैलेश कुमार मालवीय की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, बेगूसराय के डीएम अरविन्द कुमार वर्मा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो तारिक एवं वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार ने हिस्सा लेकर गरीब कल्याण रोजगार अभियान के उद्देश्य, सफलता और संभावना पर विस्तार से चर्चा की. वक्ताओं ने कहा कि कोरोना ने पूरे व्यवस्था को पलट दिया है, जिसमें सबसे अधिक प्रभावित मजदूर हुए हैं. जीवन और जीविका में समन्वय बैठाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान रोजगार के साथ-साथ आधारभूत संरचना विकास में मील का पत्थर साबित होगा. जिसमें 12 मंत्रालय कर काम कर रहे हैं, नया इनोवेशन भी हुआ है। श्रमिकों को गांव में रोकने के लिए, सबको रोजगार देने के लिए कई योजनाएं बनी है, जिन्हें कार्य रूप दिया जा रहा है, ताकि रोजगार में परेशानी नहीं हो. इस अभियान से ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा, उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरे साल के योजनाओं का क्रियान्वयन 125 दिन में करने का लक्ष्य तय किया गया है तो इससे कम हो चुकी इकोनॉमी की गतिविधि दुरुस्त होगी. अधिक से अधिक रोजगार सृजित होगा.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान पुनः राज्य से नहीं लौटने वाले कामगारों के लिए एक बेहतरीन योजना है तथा इसमें रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं. मनरेगा के तहत भी 21 लाख श्रमिकोंं को काम मिला है, एक सौ दिन के रोजगार को दो सौ दिन करने का अनुरोध भारत सरकार से किया गया है. वहीं डीएम अरविन्द कुमार वर्मा ने कहा की लॉकडाउन के दौरान परदेस से लौटे करीब 33 हजार श्रमिकों का स्किल मैपिंग कराया गया है. उन्हेंं काम दिलाने लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आया तथा 125 दिनोंं की निर्धारित अवधि में 25 योजनाओं का शत प्रतिशत क्रियान्वयन करवा कर रोजगार उपलब्ध कराते हुए ग्रामीण क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को विकसित किया जा रहा है. जिले में व्यय के लक्ष्य 33 करोड़ के विरुद्ध पांच करोड़ रुपए खर्च जा चुका है. केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय को-ऑर्डिनेटर द्वारा इसमें उत्पन्न होने वाले सभी समस्याओं की साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है, कलस्टर विकसित कर औद्योगिक संभावनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है. (पिंकल कुमार की रिपोर्ट).

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