सीवान नप वित्तीय अनियमितता मामले में आरोपियों के बेल का रास्ता साफ़, निगरानी कोर्ट ने दी दो पूर्व वार्ड पार्षदों को नियमित जमानत
अभिषेक श्रीवास्तव
सीवान नगर परिषद् के एलईडी लाइट्स और डिसप्ले बोर्ड की खरीदारी में हुए वितीय अनियमितता मामले में शनिवार को मुजफ्फरपुर निगरानी कोर्ट ने दो पूर्व वार्ड पार्षदों की नियमित जमानत याचिका मंजूर करते हुए उन्हें जमानत दे दी. मामले में पहली बार निगरानी कोर्ट से नियमित जमानत पाने वाले ये दोनों पूर्व वार्ड पार्षद महिलाएं हैं. जिनमे एक वार्ड संख्या 21 की पूर्व वार्ड पार्षद किरण देवी और दूसरी वार्ड संख्या 22 की पूर्व वार्ड पार्षद व भाजपा सांसद के प्रेस सचिव रहे स्वर्गीय श्रीकांत भारतीय की पत्नी सुनीता देवी हैं. निगरानी कोर्ट से इन दो पूर्व वार्ड पार्षदों को नियमित जमानत मिलने के बाद अब मामले में फंसे अन्य वार्ड पार्षदों की नियमित जमानत का रास्ता साफ़ हो गया है.
बता दे कि खुलेआम गोली बारी करने और हत्या के मामले में फरार चल रहे सीवान नगर परिषद् के वार्ड संख्या 31 के तत्कालीन वार्ड पार्षद इन्तेख्वाब अहमद की अर्जी पर वर्ष 2016 में मुजफ्फरपुर निगरानी विभाग ने सीवान नगर परिषद् के एलईडी लाइट्स और डिसप्ले बोर्ड की खरीदारी में वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप में नगर परिषद् के पूर्व सभापति अनुराधा गुप्ता, तत्कालीन सभापति बबलू चौहान, तत्कालीन उप सभापति करनजीत सिंह उर्फ़ व्यास सिंह और पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी राजेव रंजन प्रकाश समेत कुल 14 लोगो के खिलाफ मामला दर्ज किया था. प्रारंभ में मामले में निगरानी कोर्ट द्वारा आरोपियों को बेल नहीं दिया गया जिस वजह से कई लोग पटना हाई कोर्ट की शरण में चले गये. वहीं वार्ड 21 की पूर्व वार्ड पार्षद किरण देवी और वार्ड 22 की पूर्व वार्ड पार्षद सुनीता देवी द्वारा निगरानी कोर्ट मुजफ्फरपुर में ही नियमित जमानत के लिए याचिका दायर की गयी थी. जिसमे कई तिथियों और लम्बी सुनवाई के पश्चात् शनिवार को मुजफ्फरपुर निगरानी कोर्ट के जज सह एडीजे 6 राकेश कुमार सिंह की अदालत ने 10-10 हजार के निजी मुचलको पर दोनों को नियमित जमानत दे दी.
इन दोनों पूर्व वार्ड पार्षदों को निगरानी कोर्ट से नियमित जमानत मिलने के बाद अब इसी मामले में फंसे अन्य वार्ड पार्षदों को भी नियमित जमानत मिलने की संभावना बन गयी है. दोनों की ओर से मुजफ्फरपुर के चर्चित विद्वान् अधिवक्ता सुरेन्द्र प्रसाद पाण्डेय ने जमानत याचिका के लिए कोर्ट में बहस कर अपनी दलील रखी थी.
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