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सीवान में मैट्रिक परीक्षा परिणाम आने के बाद सफल छात्र-छात्राओं में ख़ुशी की लहर, किसी के डॉक्टर तो किसी के आईएएस बनने की है तमन्ना

दरौली प्रखंड की 85.5% लाने वाली प्रीति

कुछ करना है तो डटकर चल, थोड़ा दुनिया से हटकर चल, गर लिखना है इतिहास तो मेहनत कर, परिश्रम कर…..बगैर मेहनत के मुकाम कैसा ? गुरूवार को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के दसवीं के परीक्षा परिणाम आने के बाद सफल हुए छात्र-छात्राओं के मन में कुछ इसी तरह के जज्बात उमड़ रहे थे.

अपनी मेहनत के बल पर जहाँ दरौली प्रखंड के श्याम लाल जैन सह इन्टर कॉलेज की छात्रा प्रीति कुमारी ने बिहार माध्यमिक परीक्षा मे 427 अंक यानी 85.5% लगा कर प्ररवण्ड टॉपर बनी  है.वहीं दरौली के ही बीडीबी उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज की छात्रा दिव्यांशा द्विवेदी ने दसवीं बोर्ड में 83% नंबर लाकर गांव सहित प्रखंड का नाम रौशन किया है. जबकि सीवान के बंद पड़े सुता मिल कैम्पस में रहने वाले दो भाई- बहन प्रथम स्थान लाये है. राजवंशी देवी बालिका उच्य विद्यालय से पढ़ने वाली निहारिका को 360 नंबर मिले हैं, जबकि उसके भाई पौरुष कुमार को 309 अंक प्राप्त हुए है.

83% लाने वाली दरौली के टेम्पू चालक की बेटी दिव्यांशा
बता दे कि दरौली में 85.5% लाकर टॉप बनने वाली प्रीति एक मामूली से पत्रकार की बेटी है. इसके पिता संजय कुमार दरौली से विभिन्न अखबारों, टीवी चैनलों और डिजिटल मीडिया के लिए फ्रीलांसर के रूप में संवाद संकलन करने का काम करते हैं. वहीं दरौली की ही 83% लाने वाली दिव्यांशा एक टेम्पू चालक की बेटी है. डेहुरा गांव निवासी दिव्यांशा के पिता व्यास द्विवेदी टेम्पू चलाकर अपने परिवार का भरन पोषण करते हैं. जबकि निहारिका और पौरुष के पिता राम प्रसाद एक मामूली बिजली मिस्त्री हैं जो पटना में रहकर काम करते हैं.

दरौली के श्यामलाल जैन सह इन्टर कॉलेज के प्रधानाध्यापक श्री अनिल कुमार सिंह के अनुसार प्रीति पहले से ही पढन पाठन में तेज थी. उस पर विद्यालय की नजर थी और प्रीति ने आखीर में विद्यालय का नाम रौशन कर ही दिया. प्रीति की इस उपलब्धि से उसके पुरे गाँव में ख़ुशी का माहौल है. प्रीति आगे मेडिकल की पढाई कर एक डॉक्टर बनना चाहती है.

सीवान सूता मिल में रहने वाले बिजली मिस्त्री के बेटे पौरुष और बेटी नहारिका. पौरुष को 61.8% और निहारिका को 72 % अंक आने पर मिठाई खिलाते फुआ-फूफा
वहीं चार भाई-बहनों में तीसरी नंबर की दिव्यांशा की कठिन परिश्रम के बल पर आईएएस बनने की तमन्ना है. दसवीं में दिव्यांशा के बेहतर परिणाम से माता-पिता, भाई-बहन, शिक्षक सहित सभी गांव वासियों में खुशियां व्याप्त है.
वहीं निहारिका ने कहा कि मुझे आईएएस बनना है जबकि उसके भाई पौरुष ने एनडीए में जा कर देश की सेवा करने की इच्छा जताई.
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