सीवान : उपभोक्ता आयोग ने जीवन बीमा कंपनी को तीन लाख रुपए सूद समेत देने का दिया आदेश
सीवान में उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में जीवन बीमा कंपनी को तीन लाख रुपए सूद समेत देने का आदेश दिया है. उपभोक्ता आयोग के इस फैसले का बाद जीवन बीमा कंपनियों में हड़कंप मच गई है.
मिली जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता शिवजी प्रसाद ने भारतीय जीवन बीमा निगम से पांच लाख रुपए का वेल्थ प्लस यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान लिया था. उसने 19 किस्तों में बीमा कंपनी में तीन लाख रुपया जमा किया. एजेंट ने उसे बताया था कि आठ वर्ष बाद तीन गुना राशि निश्चित रूप से प्राप्त होगी या उससे भी अधिक प्राप्त हो सकती है. आकर्षक निवेश वापसी को देखते हुए शिकायतकर्त्ता ने यह पॉलिसी खरीदी. लेकिन, आठ वर्ष की अवधि समाप्त होने पर बीमा कंपनी से 186031.45 रुपए मिलने की बात सुनकर शिकायतकर्ता अपने को ठगा महसूस किया.
इस संदर्भ में शिकायतकर्ता विपक्षी बीमा कंपनी से व्यक्तिगत रूप से मिला, लेकिन विपक्षियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. विपक्षी बीमा कंपनी की सेवा में त्रुटि के आधार पर शिकायतकर्त्ता ने परिपक्वता राशि 4,50,000 रुपए आर्थिक व मानसिक परेशानी के लिए एक लाख विधिक खर्च के लिए दो लाख कुल 5,52,000 की राशि की मांग विपक्षी से की. बीमा कंपनी ने अपने जवाब में कहा कि बीमा परिपक्व होने पर उक्त बीमा का फंड वैल्यू के अनुसार भुगतान किया जाता है, लेकिन विपक्षी यह स्पष्ट करने में असफल रहे कि आवेदक की फंड वैल्यू क्या थी. शिकायतकर्ता और विपक्षी द्वारा दिए गए साक्ष्य पर विचार करते हुए आयोग के अध्यक्ष जनार्दन त्रिपाठी तथा सदस्य आलोक कुमार सिन्हा ने विरोधी पक्ष कार भारतीय जीवन बीमा निगम के विरुद्ध सेवा में त्रुटि तथा अनुचित व्यापार व्यवहार पाया. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 39 द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयोग ने विपक्षी भारतीय जीवन बीमा को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 300000 रुपए का भुगतान करें तथा दिनांक 24.03 2012 से आदेश की तिथि तक कुल जमा राशि पर 10% वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करें एवं शारीरिक मानसिक और आर्थिक क्षति के मद में 45,000 रुपए तथा आप विधिक खर्च के मद में 2000 रुपए का भुगतान आदेश की तिथि से दो माह के अंदर करें. दो माह के अंदर कुल राशि का भुगतान नहीं करने पर दिनांक 24.03. 2012 से 12% ब्याज की दर से भुगतान की तिथि तक अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा. आयोग ने साथ ही साथ यह भी आदेश दिया कि यदि विरोधी पक्षकार भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा पूर्व में कोई राशि शिकायतकर्ता शिवजी प्रसाद को भुगतान की गई हो तो उस राशि को घटाकर भुगतान किया जाएगा. दोनों पक्षों को निशुल्क आदेश की प्रति उपलब्ध कराई गई. (सेंट्रल डेस्क).
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